सम्पादकीय

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“इतिहास के नाम एक शोकगीत, “रविवारीय” में आज पढ़िए खगौल में ज़मींदोज़ हुआ एन सी घोष इंस्टीट्यूट”

दानापुर – एन सी घोष इंस्टिट्यूट दानापुर—जो प्राचीन काल में दीनापुर के नाम से जाना जाता था—बिहार की राजधानी पटना

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सम्पादकीय

पुरस्कारों का सौदा: साहित्य के बाज़ार में बिकती संवेदनाएं

साहित्य आज साधना नहीं, सौदेबाज़ी का बाज़ार बनता जा रहा है। नकली संस्थाएं ₹1000-₹2500 लेकर ‘राष्ट्रीय’ और ‘अंतरराष्ट्रीय’ पुरस्कार बांट

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“जश्न या जनसंकट? रॉयल जीत के बाद भगदड़ में दबी इंसानियत की चीख”

विजय की कीमत: भीड़, भगदड़ और एक गंभीर सवाल भारतीय प्रीमियर लीग (आई.पी.एल.) का इतिहास रोमांच, प्रतिस्पर्धा और जुनून से

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