सम्पादकीय

सम्पादकीय

दांत का दर्द, “रविवारीय” में आज पढ़िए- मुस्कान को नया जीवन देने वाली दंतचिकित्सा की कहानी

दांत का दर्द—यह वही दर्द है मनु जिसे जिसने कभी झेला है वही इसकी तीव्रता को समझ सकता है। इसकी

Read More
सम्पादकीय

रिश्तों की मर्यादा पर कलंक, “रविवारीय” में पढ़िए ममता और वासना के बीच संघर्ष की दर्दनाक सच्चाई

अविश्वश्नीय किन्तु सत्य  आजकल आए दिन अख़बार की सुर्खियों में पति- पत्नी के रिश्तों को कलंकित करने वाली घटनाएँ रहती

Read More
सम्पादकीय

गाँव-नगरों में ध्वज केवल पूर्व सैनिकों और शहीदों के परिवारों के हाथों में लहराए

सैनिक ही असली ध्वजवाहक (79वें स्वतंत्रता दिवस पर विशेष संपादकीय) तिरंगा केवल राष्ट्रीय ध्वज नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की आत्मा

Read More
सम्पादकीय

साहित्य और सत्ता की तस्वीरें: रसूख, दिखावा और लेखन की गरिमा

लेखक की सबसे बड़ी पूँजी उसके शब्द और उसकी स्वतंत्रता है, न कि सत्ता से नज़दीकी की तस्वीरें। प्रभावशाली व्यक्तियों

Read More
सम्पादकीय

रक्षाबंधन- “रविवारीय” में आज पढ़िए, केवल धागा नहीं, रिश्तों की मिठास और अपनत्व का उत्सव

इस बार रक्षाबंधन का त्योहार शनिवार को पड़ा। हमारा दफ़्तर सप्ताह में पाँच दिन ही खुलता है, शनिवार और रविवार

Read More