सम्पादकीय

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संस्थाएं डिग्रियां नहीं, ज़िंदगियां दें — तभी शिक्षा का अर्थ है

(जब शिक्षा डर बन जाए) डिग्रियों की दौड़ में दम तोड़ते सपने संभावनाओं की कब्रगाह बनते संस्थान भारत में शिक्षा

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युवा देश, वृद्ध नेतृत्व: क्या लोकतंत्र में उम्र जनादेश से बड़ी है?

✍️ प्रियंका सौरभ भारत आज संसार का सबसे युवा देश है। हमारी जनसंख्या का लगभग पैंसठ प्रतिशत भाग पैंतीस वर्ष

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कुल्हड़ में चाय, धुएं में बातें और टपरी पर जिंदगी, “रविवारीय” में पढ़िए एक ठहराव, एक मुलाकात, एक कहानी

चाय की टपरी एक छोटा सा नाम, पर यादों, मुलाकातों और क़िस्से कहानियों का बड़ा संसार। यह आपको हर जगह

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अंतरिक्ष में भारत की उड़ान : विज्ञान, साहस और आत्मनिर्भरता की नई परिभाषा

डॉ.सत्यवान सौरभ मानव इतिहास की परिधि पर जब भी कोई नया चक्र उभरता है, तो उसमें विज्ञान, कल्पना और आत्मबल

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पीछे नहीं, बराबरी में: केरल के स्कूलों की नई बैठने की व्यवस्था एक क्रांतिकारी कदम

लेखिका: प्रियंका सौरभ भारत के शिक्षा तंत्र में दशकों से एक अदृश्य रेखा बनी रही है — आगे की बेंच

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