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बिजली सुधार से राज्य में उद्योग बढ़ेंगे

हर साल 20% आबादी रोजगार की तलाश में पलायन करती है

बिजली सुधार से राज्य में उद्योग बढ़ेंगे

 स्मार्ट प्रीपेड मीटर इस दिशा में सहायक साबित हो रहा है

पटना: रोजगार की तलाश में हर साल करीब 20 प्रतिशत लोगों का पलायन झेल रहे बिहार के लोगों के अच्छे दिन आने लगे हैं। वह दिन दूर नहीं जब यहां के निवासियों को अपने ही राज्य में रोजगार मिलने लग जाएंगे। आधिकारिक आंकड़े तो यही बताते हैं कि बिहार में सरकारी और निजी क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर खुलने लगे हैं। इसमें शानदार सड़कें और दुरुस्त होती बिजली व्यवस्था का बड़ा योगदान माना जा रहा है। बीते 20 वर्षों में बिहार में बिजली आपूर्ति की स्थिति में बड़े बदलाव आए हैं। इस दिशा में क्रांतिकारी सुधार के लिए 13,484 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर को बिजली व्यवस्था सुधार की दिशा में क्रांतिकारी कदम के रूप में देखा जा रहा है। बिहार में बिजली के 2.12 करोड़ उपभोक्ताओं में से करीबू 67 लाख उपभोक्ताओं ने अपने घर पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगवा लिए हैं। इससे उपभोक्ताओं द्वारा उपयोग की जा रही बिजली का पता विभाग को पहले से रहता है और विभाग उसी के मुताबिक बिजली की व्यवस्था करने लगा है। इससे नए-नए उद्योग भी आकर्षित हो रहे हैं। इससे साल हुए बिहार बिजनेस कनेक्ट में रिकॉर्ड 1.80 लाख करोड़ रुपये के निवेश के लिए कई कंपनियों ने रुचि दिखाई है।

5 करोड़ लोग हर साल करते थे पलायन

सरकार के इस प्रयास की परिणाम यह हुआ है कि यहां पलायन में कमी आई है। राज्य सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार कुछ वर्ष पहले तक बिहार के 5 करोड़ से अधिक लोग रोजगार के लिए पलायन करते थे, लेकिन अब यह आंकड़ा कम हो रहा है। बिहार में रोजगार के नए अवसर लगातार मिलने के कारण पलायन में कमी देखी जा रही है। इतना ही नहीं बड़ी संख्या में अब लोग वापस बिहार लौट रहे हैं। ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर्ड आंकड़ों के अनुसार अब 2.9 करोड़ लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन किए हुए हैं।

बिजली के क्षेत्र में सुधार का रहा अहम योगदान

उद्योग जगत के विशेषज्ञों की मानें तो किसी भी राज्य में उद्योग वहां की सड़क, सुरक्षा और बिजली का अहम योगदान होता है। उपभोक्ताओं के नजरिए से बिहार बड़ा बाजार रहा है। यहां तीनों ही क्षेत्र में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। बिजली सुधार के क्षेत्र में तो क्रांति आ गई है। यह उद्योग को आकर्षित करने का बड़ा कारण बन रहा है।

स्मार्ट प्रीपेड मीटर का बड़ा योगदान

ऊर्जा क्षेत्र के जानकार बताते हैं कि बिहार आधुनिक तकनीक को अपनाने में सबसे आगे रहता है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यहां देश में सबसे ज्यादा स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगे हैं। बिहार में बिजली के 2 करोड़ 12 लाख उपभोक्ता हैं, जिनमें 67 लाख उपभोक्ताओं ने अपने घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगवा लिया है। इससे विभाग का एटीएंडसी लॉस 59.15 प्रतिशत से कम होकर 15.5 प्रतिशत आ गया है। क्योंकि, विभाग को समय पर पैसे आने लगे हैं। बिजली की चोरी कम हुई है। साथ ही विभाग को यह भी पता चलने लगा है कि किस इलाके में बिजली की कितनी जरूरत है। उसी के मुताबिक बिजली की व्यवस्था पहले से कर ली जाती है।

विभाग उपभोक्ताओं को भी दे रहा है फायदा

बिजली आपूर्ति में सुधार से उपभोक्ताओं को पर्याप्त बिजली आपूर्ति तो होने लगी है। साथ ही उपभोक्ताओं को बिजली विभाग की तरफ से आर्थिक लाभ भी दिए जा रहे हैं। जैसे, सामान्य मीटर उपभोक्ताओं की तुलना में सभी स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 25 पैसे सस्ती बिजली मिलने लगी है। हर रिचार्ज पर 3 प्रतिशत अतिरिक्त बैलेंस दिए जा रहे हैं और 2000 या उससे ज्यादा बैलेंस लगातार तीन महीने तक बनाए रखने पर आपको 6.75 प्रतिशत, तीन से 6 महीने पर 7 प्रतिशत और 6 महीने से ज्यादा समय तक दो हजार रुपये या उससे अधिक बैलेंस बनाए रखने पर 7.25 प्रतिशत की दर से ब्याज दिए जा रहे हैं।

सुपर थर्मल पावर यूनिट हो रहे हैं तैयार

देश का दूसरा सबसे बड़ा सुपर थर्मल पावर यूनिट औरंगाबाद में तैयार होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास कर दिया है। 29,900 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाली इस परियोजना में 800 मेगावाट की तीन यूनिट शामिल होंगी, जो कुल 2,400 मेगावाट बिजली उत्पादन करेंगी। बिहार सरकार ने इस परियोजना के लिए एनटीपीसी के साथ 1,500 मेगावाट बिजली आपूर्ति का समझौता किया है। ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव ने बताया था कि बिहार में बिजली की कमी जल्द ही इतिहास होगी और ये परियोजना हर सेक्टर के लिए लाभकारी होगी।

बिजली पर सरकार सभी को दे रही है राहत

ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव कहते हैं कि बिजली में सुधार का फायदा सभी तरह के उपभोक्ताओं को दिए जा रहे हैं। जैसे 92 प्रतिशत कितानों को अनुदान देकर महज 55 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जा रही है। वहीं 58 लाख एक हजार किसानों को बिजली के मुफ्त कनेक्शन दिए गए हैं। ग्रामीण इलाकों के उपभोक्ताओं को 7.42 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली की आपूर्ति की जा रही है, जिसमें अनुदान 4.97 रुपए प्रति यूनिट का दिया जा रहा है। उपभोक्ताओं को मात्र 2.45 रुपए प्रति यूनिट के दर से ही भुगतान करना पड़ रहा है। वहीं शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 7.42 रुपए प्रति यूनिट की बिजली दर निर्धारित है। उसमें भी सरकार की तरफ से 3.30 रुपए प्रति यूनिट अनुदान दिया जा रहा है। यानि शहरी उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट मात्र 4.12 रुपए प्रति यूनिट का ही भुगतान करना पड़ रहा है. वहीं सरकार किसानों को 6.019 रुपए प्रति यूनिट अनुदान दे रही है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के व्यावसायिक उपभोक्ताओं को भी 4.44 रुपए प्रति यूनिट अनुदान दे रही है और इसके कारण सरकार को हर साल 15343 करोड़ रुपए खर्च करना पड़ रहा है। यदि उपभोक्ता अपने घर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगवाते हैं तो उनकी बिजली 25 पैसे प्रति यूनिट और सस्ती हो जाएगी।

पावर ग्रिड और सब-स्टेशन भी बनाए गए

बिहार बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि आर्थिक संकट से जूझ रहे बिजली विभाग में यह सब करना आसान नहीं था। आज से 20 साल पहले तक मात्र 368 पावर सब-स्टेशन थे, जो कि अब बढ़कर 1263 तक पहंच गए हैं। वहीं ग्रिड की संख्या 45 से बढ़कर 170 तक पहंच गई है।

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