पाटलीपुत्रा विश्वविद्यालय: कुलपति चयन में नियमों की अनदेखी? सर्च कमिटी की निष्पक्षता पर सवाल
पटना, 6 अप्रैल: पाटलीपुत्रा विश्वविद्यालय में कुलपति पद के चयन के लिए गठित सर्च कमिटी एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई है। राज्यपाल सचिवालय द्वारा गठित इस कमिटी में राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में प्रोफेसर गिरीश कुमार चौधरी को शामिल किया गया है, जो पहले इसी विश्वविद्यालय में प्रति-कुलपति रह चुके हैं।
सतीश कुमार शर्मा द्वारा पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका (वाद संख्या 166680/2014) के तहत उठाए गए मुद्दों के आलोक में न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सर्च कमिटी के सदस्य उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिष्ठित हों, लेकिन वे संबंधित विश्वविद्यालय में न तो पहले कार्यरत रहे हों और न ही वर्तमान में किसी कमिटी से जुड़े हों।
श्री शर्मा ने आरोप लगाया है कि प्रो. चौधरी पहले विश्वविद्यालय की फाइनेंस कमिटी के सदस्य रह चुके हैं और पाटलीपुत्रा विश्वविद्यालय में प्रति-कुलपति भी रहे हैं, ऐसे में उनकी सर्च कमिटी में नियुक्ति न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है। उन्होंने संकेत दिया है कि इस पूरे मामले को लेकर वे शीघ्र ही एक नई याचिका न्यायालय में दायर कर सकते हैं।
यह पहली बार नहीं है जब प्रो. चौधरी की सर्च कमिटी में सदस्यता पर सवाल उठे हैं। पूर्व में, वर्ष 2023 में आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में कुलपति चयन से जुड़े मामले (वाद संख्या 10988/2022) में भी उनकी सदस्यता के चलते गठित सर्च कमिटी को रद्द कर दिया गया था।
अब देखना यह है कि पाटलीपुत्रा विश्वविद्यालय के इस मामले में न्यायालय और राज्यपाल सचिवालय क्या रुख अपनाते हैं।