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पीएम मोदी इंदौर में करेंगे गोवर्धन बायो-CNG प्लांट का लोकार्पण

पीएम मोदी आगामी 19 फरवरी को इंदौर में 550 टन प्रतिदिन टीपीडी क्षमता वाले गोवर्धन बायो-सीएनजी प्लांट का लोकार्पण करेंगे। यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कही है।
इस प्लांट से प्रदेश को काफी फायदा मिलने वाला है। दरअसल, प्लांट से बायो सीएनजी 18-17 टीडीपी, जैविक खाद 100 -टीपीडी का उत्पादन होगा।

स्वच्छता उद्यमियों से संवाद

इस मौके पर पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भोपाल, इंदौर और देवास के स्वच्छता उद्यमियों से संवाद भी करेंगे। पीएम मोदी का कार्यक्रम व्यवस्थित और उत्साह से भरा हो। तैयारियां समय पर पूर्ण हों।

गौरतलब हो, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार शाम को अपने निवास से आगामी 19 फरवरी को इंदौर में होने वाले प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा कर रहे थे।
बैठक में अन्य अधिकारी भी वर्चुअली मौजूद रहे। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी का दोपहर एक बजे वर्चुअल आगमन होगा।

राष्ट्र स्तरीय कार्यक्रम

यह राष्ट्र स्तरीय कार्यक्रम है, जिसका बेहतर प्रचार-प्रसार किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी कार्यक्रम के दौरान हितग्राहियों से बी संवाद करेंगे। इसके अलावा कार्यक्रम में प्लांट पर निर्मित फिल्म का प्रदर्शन भी किया जाएगा। केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य एवं पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी कार्यक्रम में शामिल होंगे।

407 शहरों में कार्यक्रम के लाइव प्रसारण

करीब 407 शहरों में कार्यक्रम के लाइव प्रसारण की योजना है। कार्यक्रम को लगभग एक करोड़ 21 लाख 20 हजार लोग देख सकेंगे। इंदौर नगर में 10 स्थानों पर 20 हजार, प्रदेश के सभी 407 शहरों के प्रमुख स्थानों पर एलईडी के माध्यम से एक लाख, बेवकास्ट के माध्यम से लाइव प्रसारण (फेसबुक, यू-टयूब, ट्वीटर) पर 20 लाख और सभी इलेक्ट्रानिक न्यूज चैनल पर एक करोड़ लोग लाइव प्रसारण देख सकेंगे।

भारत में स्वच्छ गांवों का होगा निर्माण

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का उद्देश्य खुलेपन को प्राप्त करना है। शौच मुक्त गांव और ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन और बेहतर सफाई प्रबंधन से भारत में स्वच्छ गांवों का निर्माण होगा। कई राज्यों में ओडीएफ स्थिति, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन में प्रमुख महत्व रखता है जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर कार्य कर रही हैं। इसी दिशा में इंदौर में गोवर्धन बायो-CNG प्लांट तैयार किया गया है जो अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य तो करेगा ही साथ ही सीएनजी गैस भी प्रदान करेगा।

गोवर्धन बायो-CNG प्लांट से देश में एक साथ कई उद्देश्यों की पूर्ति की जा रही है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के प्रयासों से इस क्षेत्र में भी तीव्र गति के साथ कार्य किए जा रहे हैं। आइए अब विस्तार से बायो-CNG प्लांट का हमारे जीवन में क्या महत्व है इसके बारे में समझते हैं।

भारत में कितना जैव-अपशिष्ट होता है उत्पन्न

दरअसल, ग्रामीण भारत पशु अपशिष्ट सहित भारी मात्रा में जैव-अपशिष्ट उत्पन्न करता है। इसके अलावा रसोई के अवशेष, फसल अवशेष, बाजार का कचरा और मल कीचड़ इत्यादि भी निकलता है। 2012 में भारत में की गई पशुधन गणना लगभग 300 मिलियन गोजातीय हैं, 65.07 मिलियन भेड़, 135.2 मिलियन बकरियां और लगभग 10.3 मिलियन सूअर हैं। वहीं कम से कम 5,257 टन कचरा एक दिन में केवल पशुधन से उत्पन्न होने का अनुमान है। इन सभी के समाधान के रूप में बायो-CNG प्लांट का उपयोग किया जा सकता है।

कितना रहती है फसल अवशेष की मात्रा

इसके अलावा, 2014 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुमानों के अनुसार, भारत ने 620 मिलियन टन फसल अवशेष, जिसमें से 300 मिलियन टन अपशिष्ट के रूप में माना जाता है और 100 मिलियन टन खेतों में जला दिया जाता है उत्पन्न होता है। वर्तमान में, जैव-अपशिष्ट का एक बहुत बड़ा अंश असुरक्षित तरीके से निपटाया जाता है जिनमें जलना, डंपिंग, जल निकायों में निर्वहन इत्यादि शामिल है।

प्रदूषण में कैसे लाएगा कमी

वहीं दूसरी और जैव-संसाधन जैसे पशु गोबर, फसल अवशेष और लकड़ी आमतौर पर खाना पकाने के ईंधन के रूप में जलाया जाता है जिससे घर के अंदर वायु प्रदूषण होता है। यह प्रदूषण का बड़ा जिम्मेदार माना जाता है। इससे छोटे बच्चों में बीमारियां भी पैदा हो रही हैं। डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि भारत में लगभग 5 लाख मौतें केवल अशुद्ध खाना पकाने के ईंधन से होती है। महिलाओं और बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान इसी से होता है क्योंकि वे ज्यादातर समय घर में बिताते हैं।

अन्य कई फायदे

बायो-CNG प्लांट की मदद से कचरे का प्रबंधन कर न केवल पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, बल्कि साथ यह कचरे के संसाधन मूल्य को नष्ट कर देता है। सौभाग्य से, जैव-अपशिष्ट को ऊर्जा के रूप में उपयोग करना ही सही है। उर्वरक अपशिष्ट में जैसे मवेशियों का गोबर, मुर्गी की मल, सूअर का मल मूत्र, मानव मल, अवायवीय के माध्यम से फसलों और फसल के अवशेष, रसोई के कचरे आदि से बायोगैस का उत्पादन किया जा सकता है। इस गैस को खाना पकाने, प्रकाश, बिजली उत्पादन में किया जा सकता है। इसके अलावा इथेनॉल तिलहन जैसे जटरोफा, करेंगे, रेपसीड, महुआ बीज, नीम बीज आदि को बायो-डीजल और अन्य औषधीय उत्पादों में बदला जा सकता है। वुडी बायोमास और पाउडर बायोमास अपशिष्ट जैसे टहनियां, छाल / शाखाएं, अरहर के डंठल, सरसों के डंठल, नारियल के छिलके, आरी की धूल, धान की भूसी आदि को ठोस बायोमास ईंधन जैसे छर्रे, ब्रिकेट और अन्य में बदला जा सकता है।