सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने पूरे देश में चलाए जाने वाले एचपीवी-कैंसर पब्लिक अवेयरनेस कैंपेन की शुरुआत की
पटना चिकित्सा जगत के विशेषज्ञों ने एचपीवी से जुड़े कैंसर से निपटने की तैयारी के लिए अहम इस अभियान को समर्थन दिया
पटना। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा पूरे देश में चलाए जाने वाले पब्लिक हेल्थ इनिशिएटिव के सिलसिले में पटना में “कॉनकर एचपीवी एंड कैंसर कॉन्क्लेव 2025” का आयोजन किया गया। भारत एचपीवी से जुड़ी बीमारियों की चुनौती का लगातार सामना कर रहा है और इनमें भी सर्वाइकल कैंसर खास तौर पर हमारी चिंता की वजह है। एचपीवी देश में महिलाओं में होने वाली कैंसर की दूसरी सबसे बड़ी वजह है। आईसीओ/आईएआरसी इंफॉर्मेशन सेंटर ऑन एचपीवी एंड कैंसर (2023) के मुताबिक हर साल भारत में 1.23 लाख सर्वाइकल कैंसर के मामले सामने आते हैं और इनमें 77,000 मौतें होती हैं। इसके अलावा गुदा के कैंसर के 90 प्रतिशत और लिंग के कैंसर के 63 प्रतिशत मामले एचपीवी से ही जुड़े होते हैं।
पटना के कार्यक्रम में चिकित्सा विशेषज्ञों ने एचपीवी के लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर पर गहन विचार-विमर्श किया। इस पैनल में शामिल थे डॉ. अनीता सिंह–चीफ कंसल्टंट- ज्योतिपुंज अस्पताल और जनचिकित्सक अस्पताल, एओजीएसएच की अध्यक्ष, आईएजीई के बिहार चैप्टरकी अध्यक्ष।, एफओजीएस की उपाध्यक्ष 2020, डॉ. अवध अग्रवाल – एसोसिएट प्रोफेसर, शिशु रोग। प्रशिक्षण समन्वयक स्वास्थ्य कार्यक्रम। आईएपी पटना शाखा सचिव 2014-16, डॉ. निभामोहन – कंसल्टंट, रेणु मैटरनिटी सेंटर, पटना। मानद सचिव – पटना ऑब्स एंड गाइनी सोसाइटी (2025-26), डॉ. संगीता पंकज – प्रोफेसर और एचओडी – गायनोकोलॉजिकल ऑन्कोलॉजीस्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट, आईजीआईएमएस, पटना। अध्यक्ष – गायनोकोलॉजिकल ऑन्कोलॉजी कमेटी पीओजीएस (2019-2025), एवं डॉ. निशांत कुमार – संस्थापक और निदेशक – निहान मेडिकल चिल्ड्रन हॉस्पिटल, समस्तीपुर। आईएपी और आईएमए की समस्तीपुर शाखा के सदस्य और वैज्ञानिक समिति के सचिव। इस सत्र का संचालन डॉ. राकेश कुमार ने किया। आप असिस्टेंट प्रोफेसर और पीआईसीयू प्रभारी शिशु रोग, पटना मेडिकल कॉलेज, पटना और सचिव, आईएपी, पटना शाखा (2022-2024) रहे हैं।
आप केंद्रीय आईएपी ईबी सदस्य 2025 होने के साथ आईएपी-आईसीपी की गवर्निंग कौंसिल 2024-26 के सदस्य भी हैं। इन सभी चिकित्सकों ने इस बात परजोर दिया कि एचपीवी से सुरक्षा के लिए जागरूकता की बहुत जरूरत है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि किशोरों और उनके माता-पिता को इस बारे में बताने की जरूरत है और सुरक्षात्मक कदम उठाने में स्वास्थ्य सुविधाएं देने वालों की बहुत अहम भूमिका है। सभी विशेषज्ञों ने विशेष रूप से कहा कि एचपीवी से सिर्फ सर्वाइकल कैंसर ही नहीं होता है, बल्कि इससे वलवा, वैजाइना, गुदा, लिंग और ओरोफेरिंक्स का कैंसर भी होता है। यह महिला और पुरुष दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है। एचपीवी के संक्रमण का खतरा 15 से 25 साल की उम्र के बीच ज़्यादा होता है। इसी वजह से शुरुआत में ही इसकी पहचान करना और इसे फैलने से रोकने के कदम उठाना बेहद जरूरी है। अब कम खर्चीली एचपीवी वैक्सीन (टीके) उपलब्ध है। इससे यह संभव हुआ है कि हर व्यक्ति को एचपीवी से जुड़े कैंसर से बचाया जा सके। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के एग्जीक्यूटिव डाइरेक्टर पराग देशमुख कहते हैं, “देश भर में होने वाली इन कॉन्क्लेव के जरिए हम ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) के बारे में लोगों को समझाना चाहते हैं और यह बताना चाहते हैं कि यह सर्वाइकल कैंसर के साथ-साथ अन्य तरह के कैंसर का कारण है। हम चिकित्सकों, स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवरों और समाज के लोगों को एक मंच पर लाकर इस विषय पर बातचीत करना चाहते हैं।
हम इस पर हर कोण से बातचीत चाहते हैं ताकि हमें इसकी पहचान और रोकथाम से जुड़े व्यावहारिक समाधान मिल सकें।” पटना कॉन्क्लेवका समापन दर्शकों की भागीदारी वाली बातचीत से हुआ। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि कैंपेन के अहम लक्ष्य को हासिल किया जा सके। यह लक्ष्य है: सही समय पर निर्णय और समाज की भागीदारी से रोके जा सकने वाले कैंसर को रोकना। आने वाले महीनों में यह कैंपेन देश के अन्य शहरों में जारी रहेगा।