बिहार दिव्यांग चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब- अनंत और धर्मेंद्र की धमाकेदार पारियों से सिवान की ऐतिहासिक जीत
बिहार दिव्यांग क्रिकेट डेवलपमेंट एसोसिएशन के तत्वावधान में आयोजित बिहार दिव्यांग चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का खिताब सिवान ने अपने नाम किया। सिवान ने पटना को 6 विकेट से हराया। पहले बल्लेबाजी करते हुए पटना की टीम ने 5 विकेट के नुकसान पर 203 रन बनाए। जवाब में सिवान की टीम ने 18.1 ओवर में मुकाबले को जीत लिया। इस टूर्नामेंट के सफल आयोजन में इनर व्हील क्लब ऑफ पाटलिपुत्र (Dist. 325) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पटना जिला दिव्यांग क्रिकेट टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया। पटना ने निर्धारित 20 ओवर में 5 विकेट खोकर 203 रनों का सम्मानजनक स्कोर खड़ा किया। शुरुआत में पटना की टीम को कुछ मुश्किलें आईं और संतोष कुमार (2 रन) तथा संस्कारी बिना खाता खोले आउट हो गए। इसके बाद अमन ने टीम के लिए बेहतरीन बल्लेबाजी का प्रदर्शन किया। अमित और धर्मेंद्र कुमार ने उनका साथ दिया, लेकिन इसके बाद अमन 52 रन बनाकर आउट हो गए। धर्मेंद्र साह ने 40 रन की नाबाद पारी खेली और अजय ने 22 रन बनाए। श्याम जी पांडे ने भी 14 गेंदों पर 24 रन की तेज पारी खेली। सिवान के लिए मुकेश कुमार ने 1, धर्मेंद्र साह ने 2 और दीपू ने 1 विकेट लिए।
सिवान के लिए लक्ष्य का पीछा करना आसान नहीं था, लेकिन सिवान ने 18.1 ओवर में 4 विकेट के नुकसान पर 204 रन बनाकर मैच जीत लिया। शैलेश कुमार और टुनटुन कुमार क्रमशः 5 और 6 रन बनाकर आउट हो गए। अनंत पांडे ने 38 गेंदों पर 61 रनों की शानदार पारी खेली। धर्मेंद्र साह ने 42 रन बनाकर टीम को जीत के करीब पहुंचाया। दीपू कुमार ने नाबाद 45 रन और मुकेश कुमार ने नाबाद 17 रन बनाकर सिवान को जीत दिलाई।
विजेता टीम सिवान को चमचाती ट्रॉफी इनर व्हील क्लब ऑफ पाटलिपुत्रा की अध्यक्ष संगीता गोयल और बिहार दिव्यांग क्रिकेट डेवलपमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अमितेश कुमार ने प्रदान की। इसके अलावा मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार धर्मेंद्र साह, बेस्ट बल्लेबाज का पुरस्कार अमन कुमार और बेस्ट गेंदबाज का पुरस्कार अमित कुमार को गैस्ट्रो इंडोस्कोपी सेंटर द्वारा प्रदान किया।
इस अवसर पर पूर्व अध्यक्ष बबिता बिदासरिया, मेंबर अल्का अग्रवाल, और बिहार दिव्यांग क्रिकेट डेवलपमेंट एसोसिएशन के अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित रहे। इस टूर्नामेंट ने दिव्यांग खिलाड़ियों की अद्वितीय क्षमता और समर्पण को प्रदर्शित किया और यह संदेश दिया कि शारीरिक सीमाएं किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने में बाधा नहीं बन सकतीं।