मैं पद की नहीं सामाजिक परिवर्तन और सुधार की बात करता हूं : उपेन्द्र कुशवाहा
गंगा किनारे डांस करने से कोई मुख्यमंत्री नहीं बनता : उपेन्द्र कुशवाहा
बिहार लेनिन जगदेव बाबू के शहादत दिवस पर आयोजित रालोमो की राज्य स्तरीय महारैली” सम्पन्न
उपेन्द्र कुशवाहा को पटना में शक्ति प्रदर्शन की जरूरत होती तो गांधी मैदान छोटा पड़ जाता: उपेन्द्र कुशवाहा
पटना 05 सितम्बर
राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री उपेंद्र कुशवाहा ने आज पटना के मिलर हाइस्कूल के मैदान में पार्टी की ओर से आयोजित राज्य स्तरीय “संवैधानिक अधिकार- परिसीमन सुधार महारैली” के माध्यम से इस महाअभियान के लिए विक्रमगंज, मुजफ्फरपुर और गयाजी के बाद आज पटना से चौथी बार शंखनाथ किया। इस महारैली में पूरे बिहार के 38 जिलों से हजारों हजार की संख्या में कार्यकर्ताओं का समागम हुआ। श्री कुशवाहा ने हजारों समर्थकों के बीच दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर श्री कुशवाहा ने कहा कि मीडिया के लोग बार बार सवाल कर रहे थे कि यह महारैली क्या शक्ति प्रदर्शन के लिए आयोजित हो रही है। मैं उनको इस ऐतिहासिक अवसर पर बताना चाहता हूँ कि उपेन्द्र कुशवाहा को यदि पटना में शक्ति प्रदर्शन की जरूरत होती तो गांधी मैदान छोटा पड़ जाता। इस महारैली का आगामी विधानसभा चुनाव से कोई लेना देना नहीं है। उपेन्द्र कुशवाहा के सम्मान की रक्षा तो प्रदेश की जनता स्वयं करती है । पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान उपेन्द्र कुशवाहा के चाहने वालों ने अपने आप मेरे सम्मान की रक्षा की थी ये किसी को भूलना नहीं चाहिए। जगदेव बाबू की अचानक हुई हत्या के बाद अचानक उनकी राजनीतिक विरासत को कौन आगे बढ़ाए यह सवाल खड़ा हुआ था। आज एक बार फिर मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि वर्तमान में भी जगदेव बाबू की विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उसी शोषित समाज के किसी व्यक्ति के हाथों में रहनी चाहिए जिसके लिए उन्होंने अपनी शहादत दी थी।
उन्होंने कहा कि मैने हमेशा जनहित के मुद्दों को उठाया है। बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए हमने 25 सूत्री मांग की थी, मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी का विशेष आभार व्यक्त करता हूँ कि उसमें से अधिकांश मांग पूरी हो चुकी है। पिछले दिनों वाल्मिकीनगर में आयोजित पार्टी राजनीतिक मंथन शिविर 14 सूत्री मांग रखी थी जिसमें से 04 महत्वपूर्ण मांग पूरी हो चुकी है। चाहे वो स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड की राशि 04 लाख से 10 लाख की बात हो या जातीय जनगणना का मामला हो हमारी मांग पूरी हुई है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा सुधार का हमारा अभियान तब तक जारी रहेगा जबतक कि हमारे समाज का बच्चा खुद शिक्षक बनने की इच्छा व्यक्त करना न शुरू करे। हमारी पार्टी का नारा है जय किसान जय नौजवान । हम हमेशा किसानों के हित से जुड़े मुद्दे पर पूरी प्रतिबद्धता के साथ खड़े हैं। हम सामाजिक न्याय की बात करते हैं जिसका सीधा मतलब है कि जाति या धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो। उन्होंने कहा कि मैं केंद्र और राज्य सरकारों से यह मांग करते हैं कि सम्राट अशोक की विरासत को जीवंत रखने के लिए पटना का नाम पाटलिपुत्र किया जाय।कॉलेजियम सिस्टम को खत्म कर खुली परीक्षा के माध्यम से जजों की बहाली की हमारी मांग उठाने के बाद अब महामहिम राष्ट्रपति ने भी इस मांग को आगे बढ़ाया है।
श्री कुशवाहा ने कहा कि परिसीमन का मुद्दा आप लोगों के लिए नया है लेकिन इसको ठीक से समझने की आवश्यकता है।भारत में 2026 में परिसीमन होना है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 82 देश में हर दस सालों में जनगणना करवाने के बाद परिसीमन आयोग का गठन कर लोकसभा सीटों की संख्या का फिर से निर्धारण करने का अधिकार देता है। वहीं, अनुच्छेद 170 राज्यों में विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा और संख्या तय करने का अधिकार देता है। अभी तक देश में 1951, 1961, 1971 की जनसंख्या के आधार पर परिसीमन कर लोकसभा की सीटों को निर्धारित किया गया है।
राज्यों के लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या आबादी के अनुसार निर्धारण करना परिसीमन का मूल उद्देश्य है। देश में परिसीमन 1971 तक आबादी के अनुसार तय होता रहा, किन्तु 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी ने परिसीमन को 25 वर्षों के लिए फ्रीज कर दिया | देश में आपातकाल लागू था और इसी का फायदा उठाकर 42वें संविधान संशोधन के जरिये परिसीमन को फ्रीज किया गया। पुनः यह रोक अगले 25 साल तक के लिए बढ़ा दी गई| यह अवधि साल 2026 में पूरी होने जा रही है| वहीं, वर्ष 2009 में भी परिसीमन तो किया गया, लेकिन लोकसभा की सीटों को स्थिर रखते हुए सिर्फ निर्वाचन क्षेत्रों को आबादी के अनुसार संतुलित करने का काम किया।
श्री कुशवाहा ने कहा कि परिसीमन का उद्देश्य ही था पूरे भारतवर्ष में एक समान आबादी के आधार पर सीटों का निर्धारण करना, लेकिन मौजूदा समय में यह उद्देश्य पूरी तरह से खारिज हो चुका है। इस व्यवस्था की वजह से बिहार सहित उत्तर भारत के लगभग सभी राज्यों को लोकसभा सीटों के मामले में बहुत नुकसान हो रहा है। आज दक्षिण भारत में लगभग 21 लाख आबादी पर एक लोकसभा सीट है वहीं, उत्तर भारत में लगभग 31 लाख की आबादी पर एक लोकसभा सीट है। यह व्यवस्था बिहार सहित तमाम उत्तर भारतीय राज्यों का देश की संसद में हमारे प्रतिनिधित्व को कम करता है या कह सकते हैं कि संविधान की मूल भावना 1 व्यक्ति – 1 वोट – 1 मूल्य के साथ छलावा है। मौजूदा आबादी के आधार पर परिसीमन नहीं होने के कारण हम पिछले 50 वर्षों से अपने इस अधिकार से वंचित हैं। उदाहरण के लिए अभी हर सांसद को सलाना 5 करोड़ रुपए की सांसद निधि मिलती है। दक्षिण भारत में यही फंड 1 संसद सदस्य को 21 लाख आबादी के लिए मिल रहा है, वहीं उत्तर भारत के संसद सदस्य को लगभग 31 लाख लोगों पर वही फंड मिलता है।
उन्होंने कहा कि अगर 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने परिसीमन को 25 सालों के लिए फ्रीज नहीं किया होता तो आज बिहार में लोकसभा की सीटों की संख्या 40 से बढ़कर लगभग 60 सीटें हो जातीं। लेकिन जब कभी भी इस देश में आबादी के आधार पर परिसीमन की बात होती है तब तब दक्षिण के राज्य इसका खुलकर विरोध करते हैं और इसे दक्षिण के राज्यों के साथ भेदभाव वाला कदम बताते हैं। वे जनसंख्या को नियंत्रित करने की बात करते हैं। लेकिन सच्चाई इससे उलट है। गौरतलब है कि बिहार सहित तमाम उत्तर भारतीय राज्यों को आजादी के पहले से राजनीतिक, सामाजिक और सामरिक दुष्चक्रों का सामना करना पड़ा है। उत्तर भारतीय राज्यों को न सिर्फ अंग्रेजों के क्रूर शासन का दमन झेलना पड़ा है, बल्कि भूकंप, गरीबी, अशिक्षा और प्लेग-हैजा जैसी गंभीर बीमारियों का भी सामना करना पड़ा है। इस दौरान दक्षिण के राज्यों में आबादी का ग्रोथ रेट उत्तर भारतीय राज्यों की तुलना में बहुत ज्यादा था।
श्री कुशवाहा ने कहा कि अब हमें “संवैधानिक अधिकार, परिसीमन सुधार” की लड़ाई के लिए तैयार होना होगा। हमारे साथ जो छल किया गया उसका खामियाजा बिहार को भुगतना पड़ रहा है। अगर यह काम कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार नहीं करती तो अब बिहार को कम से कम और 20 सांसदों का लाभ मिलता। अब चूंकि 2026 में परिसीमन किया जाना है और आबादी के आधार पर सीटों का निर्धारण किया जा सकता है। निश्चित ही हमें इस दिशा में ठोस रणनीति बनाने की जरूरत है ताकि हम बिहार के लिए सम्मानजनक हिस्सेदारी हासिल कर सकें। सवाल सिर्फ लोकसभा सीटों का ही नहीं है, बल्कि इससे राज्यों की विधानसभा सीटों में इजाफा करने की प्रकिया प्रभावित हो रही है।
उन्होंने कहा कि इस दिशा में राष्ट्रीय लोक मोर्चा का ध्येय एकदम स्पष्ट है कि वह बिहार समेत उत्तर भारत के राज्यों के साथ इस बार धोखा नहीं होने देंगे। हमारी पार्टी इस लड़ाई को बिहार के घर घर तक ले जाएगी ताकि बिहार समेत उत्तर भारत की जनता अपने राजनैतिक अधिकार को हासिल कर सके। आप सब से अनुरोध है कि आप भी घर घर जाइए और लोगों से कहिए कि परिसीमन नहीं होने से अनुसूचित जाति, जनजाति व 33 फीसदी प्रस्तावित महिला आरक्षण के साथ भी धोखा होगा, क्योंकि यह उनके प्रतिनिधित्व को भी संसद में कम करता है। इसलिए हमारी पार्टी ने इस भेदभाव के खिलाफ संघर्ष करने का निर्णय लिया है। राष्ट्रीय लोक मोर्चा का उद्देश्य बिहार समेत उत्तर भारत के सभी राज्यों के लोगों को जनगणना आधारित परिसीमन की जरूरत के प्रति जागरूक करना है।
श्री कुशवाहा ने कहा कि संवैधानिक अधिकार-परिसीमन सुधार” के संकल्प को हम पूरा करके ही दम लेंगे। राष्ट्रीय लोक मोर्चा बिहार की जनता से अपील करता है कि इस लड़ाई में हमारा साथ दें ताकि बिहार समेत उत्तर भारत के लोगों को उचित राजनैतिक प्रतिनिधित्व मिल सके। उन्होंने कहा कि मैं पद की नहीं बल्कि परिवर्तन और सुधार की बात करता हूँ। आगामी विधानसभा चुनाव में NDA के लिए पूरे बिहार में अच्छा माहौल है । केंद्र और राज्य की NDA सरकार जनहित के जुड़े मुद्दों पर अच्छा काम कर रही है। जनता का भरपूर स्नेह और समर्थन गंगा किनारे डांस करने से कोई मुख्यमंत्री नहीं बन जाता है अगर ऐसा होता तो देश का सबसे बड़ा डांसर भारत का प्रधानमंत्री बन जाना चाहिए था। सार्वजनिक जीवन में अपनी छवि बनाकर रखनी चाहिए।
उपरोक्त आशय कि जानकारी देते हुए पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता नितिन भारती ने बताया कि इस अवसर पर पार्टी के सभी राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे। सभा की अध्यक्षता पार्टी के प्रभारी प्रदेश अध्यक्ष मदन चौधरी ने की जबकि मंच संचालन संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष आलोक कुमार सिंह, मुख्यालय प्रभारी सह प्रदेश महासचिव प्रशांत पंकज और रोहतास जिला अध्यक्ष कपिल कुमार ने संयुक्त रूप से की। स्वागत भाषण का दायित्व रामेश्वर महतो ने निभाया। सभा को संबोधित करने वाले अन्य वक्ताओं में राष्ट्रीय प्रधान महासचिव माधव आनंद, रणविजय सिंह, जीतेन्द्र नाथ पटेल, फजल इमाम मल्लिक, रेखा गुप्ता, आर के सिन्हा, स्मृति कुमुद, सुभाष चंद्रवंशी सहित सभी संगठन जिलों के जिला अध्यक्ष शामिल थे इत्यादि। पटना महानगर अध्यक्ष खुर्शीद अहमद ने धन्यवाद ज्ञापन किया।