सम्पादकीय

ईरान का आतंक अगर आतंक है तो पाकिस्तान का आतंक प्यार कैसे, विश्व से आतंक खात्मा हीं हो मकसद

मधुप मणि “पिक्कू”

इजरायल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध में अमेरिका का सीधा हस्तक्षेप विश्व समुदाय के लिए एक बड़े परिवर्तन को दिखा रहा है।यहां सबसे ज्यादा आवश्यक यह जानना है कि आखिर इजरायल ने ईरान पर हमला क्यों किया ? विभिन्न मीडिया, राजनीतिक साक्षात्कारों और रिपोर्ट्स का अध्ययन करने पर यह नतीजा निकलता है कि ईरान में जारी आतंकी संगठनों को पनाह, परमाणु हथियारों को विकसित करने समेत कई ऐसे मुद्दे हैं जो इजरायल के लिए खतरा पैदा कर रहे थें। आइए जानते हैं विस्तार से-

ईरान का परमाणु कार्यक्रम

मुख्य कारण: इज़रायल को आशंका है कि ईरान गुप्त रूप से परमाणु हथियार विकसित कर रहा है।

इज़रायल का दावा: अगर ईरान परमाणु हथियार बना लेता है, तो वह इज़रायल के अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा बन जाएगा।

इसलिए: इज़रायल ने कई बार ईरान की परमाणु सुविधाओं पर साइबर अटैक, ड्रोन हमले या हवाई हमलों की कोशिश की है।

ईरान समर्थित आतंकवादी समूह

हिज़बुल्लाह (लेबनान) और हामास (गाज़ा) जैसे समूहों को ईरान आर्थिक, सैन्य और तकनीकी सहायता देता है।

इज़रायल का तर्क: ये समूह इज़रायल पर मिसाइल और रॉकेट हमले करते हैं, और इनकी ताकत बढ़ाने में ईरान की भूमिका है।

इसलिए: इज़रायल ईरान को सीधे हमला करके या उसके सहयोगियों को निशाना बनाकर दबाव में लाना चाहता है।

सीरिया में ईरानी मौजूदगी

ईरान ने सीरिया में मिलिट्री बेस और हथियार भंडार बनाए हैं, जिनका इस्तेमाल इज़रायल पर हमलों के लिए हो सकता है।

इज़रायल नियमित रूप से सीरिया में ईरानी ठिकानों पर हवाई हमले करता रहा है।

प्रॉक्सी वॉर (प्रतिनिधि युद्ध)

ईरान और इज़रायल सीधे युद्ध में नहीं उलझते, लेकिन दोनों एक-दूसरे के खिलाफ प्रॉक्सी ग्रुप्स और गुप्त ऑपरेशनों का उपयोग करते हैं।

उदाहरण: साइबर अटैक, वैज्ञानिकों की हत्या, ड्रोन हमला, गुप्तचर मिशन आदि।

राजनीतिक संदेश और आंतरिक मजबूरी

कई बार हमला करके इज़रायल अपनी जनता को यह संदेश देना चाहता है कि वह उनकी सुरक्षा के लिए कठोर कदम उठा रहा है।

इसी तरह, ईरान भी कभी-कभी प्रतिक्रिया स्वरूप अपनी ताकत दिखाने के लिए जवाबी हमले करता है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो इस मुद्दे पर अमेरिका का रुख दोहरा रहा। एक ओर पाकिस्तान में आतंकी संगठनों पर भारत के हमले का विरोध किया वहीं ईरान में इजरायल के द्वारा आतंकी संगठनों को नेस्तानाबूद करने पर समर्थन। इसका ये अर्थ है कि अमेरिका को विश्व आतंकवाद की नहीं सिर्फ अपनी चिंता है कि कैसे वो एशिया पर अधिपत्य जमा सके। चुकी वो जानता है कि भारत एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है जो एशिया में उसको अपने पैर जमाने में रूस की तरह बाधा उत्पन्न कर सकता है। यही कारण है कि अमेरिका ने भारत की तरफ से पाक के खिलाफ लिए एक्शन पर अपना विरोध दर्ज किया।
यदि इस बात में सच्ची है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित कर रहा है तो उस पर करवाई होनी चाहिए। ईरान पर हीं क्यों ? पूरे विश्व से परमाणु हथियारों को समाप्त कर देना चाहिए। ये विश्व के खतरनाक है।

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