सम्पादकीय

सम्पादकीय

एक ज़रूरी बचाव, लेकिन क्या लोग ऊब गए हैं? 1930 की चेतावनी और पकते कान: साइबर सतर्कता या शोरगुल?

साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 और ऑनलाइन ठगी से बचाव की चेतावनियाँ इतनी बार सुनाई देने लगी हैं कि लोग अब

Read More
सम्पादकीय

इंसान से तकनीक तक, “रविवारीय” में आज पढ़िए, हम जुड़ रहे हैं या दूर हो रहे हैं ?

अस्सी के दशक की बात है। पिताजी का स्थानांतरण पटना से रांची हो गया था। तब बिहार अविभाजित था। झारखंड

Read More
सम्पादकीय

पशुपालकों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर, हज़ारों दिनों से संघर्ष जारी, कब मिलेगा न्याय?

पशुपालकों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर, हरियाणा के इतिहास में सबसे लंबे कर्मचारी आंदोलनों में से एक। डिप्लोमा वेटरनरी एसोसिएशन

Read More
सम्पादकीय

व्यंग्य की धार, “रविवारीय” में आज पढ़िए जब समाज ने दरोगा को उसकी सच्चाई पर सज़ा दी

कुछ दिन पहले की बात है, मैं सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई जी की पुस्तक “निठल्ले की डायरी” के पन्नों को

Read More