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कमांडो 3 फिल्म रिव्यू- धमाकेदार एक्शन के पीछे छिपी रही कमज़ोर कहानी और अभिनय

कलाकार- विद्युत जामवाल, अदा शर्मा, अंगिरा धार, गुलशन देवैया आतंकवाद विश्व भर में फैला एक ऐसा गंभीर मुद्दा है, जिस पर हर दौर में फिल्में बनती आई हैं। ऐसे में एक निर्देशक अपनी फिल्म में क्या नया दृष्टिकोण दिखाते हैं, यह बेहद अहमियत रखता है। कमांडो, कमांडो 2 के बाद अब निर्माता विपुल अमृतलाल शाह लेकर आए हैं कमांडो 3। फिल्म धर्म के नाम पर हो रहे आतंकवाद के खिलाफ छिड़ी एक मुहिम की कहानी है। हिंदू- मुस्लिम बगावत, धर्म परिवर्तन, देश को खत्म कर देने की धमकी, फर्जी पार्सपोर्ट, दूर कहीं छिपा बैठा आतंकवादी, देशभक्ति.. फिल्म में सबकुछ है, लेकिन कुछ नया नहीं है।

कहानी बुराक अंसारी (गुलशन देवैया) एक मास्टरमाइंड है, जो लंदन में बैठकर भी वीडियो टेप के जरीए भारत के युवाओं का ब्रेनवॉश कर रहा है। भारत के ऊपर बड़े आतंकवादी हमले का साया है। ऐसे में भारत सरकार अपने सर्वश्रेष्ठ कमांडो करणवीर सिंह डोगरा (विद्युत जामवाल) और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट भावना रेड्डी (अदा शर्मा) को लंदन जाकर आतंकवादी को ढूढ़कर लाने की जिम्मेदारी देती है। लंदन में इनका संपर्क बनता है ब्रिटिशन इंटेलिजेंस की मल्लिका सूद (अंगिरा धार) और अरमान (सुमित ठाकुर) से। यहां से शुरु होता है चूहे- बिल्ली का खेल। एक ओर जहां भारतीय एजेंट बुराक को पकड़ना चाहते हैं, वहीं उनकी हर कदम पर पहले से ही बुराक की नजर है। ऐसे में चारों किस तरह से मास्टरमाइंड तक पहुंचते हैं और भारत में होने वाले हमले को रोक पाते हैं, यही है फिल्म की कहानी। निर्देशन व तकनीकि पक्ष कोई शक नहीं कि फिल्म में एक्शन कोरियोग्राफी कमाल की है। हीरो की एंट्री से लेकर क्लाईमैक्स तक, फिल्म में हर तरह के एक्शन की झलक दिखा दी गई है। मिट्टी में पहलवानों के साथ लड़ना हो या मार्सल आर्ट्स, विद्युत जामवाल की इस प्रतिभा का भरपूर इस्तेमाल किया गया है। लेकिन क्या सिर्फ एक्शन सीन्स से फिल्म दिलचस्प बनती है? नहीं। आदित्य दत्त का कमजोर निर्देशन, ढ़ीली पटकथा, बेदम डायलॉग्स फिल्म को औसत बना देते हैं। कुछ एक गंभीर सीन्स इतने गैर- जिम्मेदाराना ढंग से लिखे गए हैं, जिस पर आप सिर्फ हंस ही सकते हैं। मार्क हैमिलटन की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है, वहीं बैकग्राउंड संगीत एक्शन सीन्स में जोश भरता है। फिल्म क्लाईमैक्स में एक सकारात्मक संदेश देती है, जो आपको कुछ हद तक प्रभावित कर सकती है।

अभिनय विद्युत जामवाल ने अपने करियर में चार बॉलीवुड फिल्में की हैं, जिनमें से तीन कमांडो फ्रैंचाइजी की फिल्मे हैं। जाहिर है कि इस फिल्म की पटकथा भी विद्युत को ध्यान में रखकर ही लिखी गई होगी। एक्शन में माहिर विद्युत हाव भाव में कच्चे हैं, इसीलिए निर्देशक ने फिल्म को एक्शन सीन्स से भर दिया। कुल मिलाकर करणवीर सिंह डोगरा फिल्म की जान है। वहीं, दोनों अभिनेत्रियों ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है। एक्शन सीन्स में दोनों प्रभावित कर जाती हैं। खासकर अंगिरा धार ने अपने स्वाभाविक अभिनय से दिल जीता है। बतौर मास्टरमाइंग आतंकवादी गुलशन देवैया क्रूर लगे हैं, लेकिन प्रभावी नहीं।
सभार:www.filmibeat.com