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एनडीए को हराने के लिए संवाद, त्याग और अनुशासन ही असली गठबंधन की पहचान- इन्तेखाब आलम

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य इन्तेखाब आलम ने कहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद अब चुनावी गतिविधियां पूरे जोश पर हैं, लेकिन गठबंधन के स्वरूप को अंतिम रूप देने में हुई देरी ने जनता और कार्यकर्ताओं के बीच असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।
इन्तेखाब आलम ने बताया कि यह देरी नेतृत्व स्तर पर संवाद और समन्वय की कमी को उजागर करती है, जिसे अब तत्काल दूर किया जाना चाहिए।
इन्तेखाब आलम ने कहा कि गठबंधन का अर्थ केवल सीट बंटवारे तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह विचारों, नीतियों और साझा लक्ष्य — एनडीए को पराजित करने के संकल्प — पर आधारित होता है।
उन्होंने कहा कि यदि दोनों ओर से ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ समय पर बातचीत होती, तो आज यह स्थिति नहीं बनती। चुनाव आयोग की घोषणा के बाद भी महागठबंधन की ओर से स्पष्टता का अभाव रहा, जिससे भ्रम की स्थिति बनी रही।
इन्तेखाब आलम ने उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जिस कुटुंब विधानसभा सीट से सिटिंग एमएलए हैं, उसी सीट पर राजद द्वारा भी उम्मीदवार घोषित किया गया है। यह गठबंधन की भावना के अनुरूप नहीं है और इससे कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल बनता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से कुछ सीटों को लेकर सार्वजनिक बयानबाज़ी की गई, उससे गठबंधन की एकजुटता पर असर पड़ा है।
इन्तेखाब आलम ने जोर देते हुए कहा कि “संवाद ही समाधान है।” यदि शुरुआत से ही सभी घटक दल एक साथ बैठकर खुले दिल से चर्चा करते, तो यह स्थिति नहीं आती।
उन्होंने कहा कि अब जबकि नामांकन की अंतिम तिथि कल है और पहला चरण मतदान 6 नवंबर तथा दूसरा चरण 11 नवंबर को होना है, ऐसे समय में सभी दलों को संयम और समझदारी दिखाने की आवश्यकता है।
इन्तेखाब आलम ने अपील की कि अब सभी दल अपनी-अपनी सीटों पर संतोष और त्याग की भावना के साथ एकजुट हों, क्योंकि लक्ष्य स्पष्ट है — एनडीए को हराना और बिहार को बचाना।
उन्होंने कहा कि कुर्बानी और अनुशासन से ही गठबंधन मज़बूत होता है, न कि बयानबाज़ी और विवाद से।
इन्तेखाब आलम ने अंत में कहा कि बिहार की जनता गठबंधन की ओर उम्मीद से देख रही है। अब समय है कि हम उस उम्मीद पर खरे उतरें, और एकजुट होकर एनडीए के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ें।

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