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हुक्मरानो के द्वारा मजदूरों के मजबूरी का गलत आकलन ही जानलेवा साबित हो रही है- एजाज अहमद

जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव एजाज अहमद ने महाराष्ट्र के जालना से औरंगाबाद जा रहे 16 मजदूरों के मालगाड़ी से कट कर हुई मौत पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि अफसोस की बात है कि देश के हुक्मरान गरीब मजदूरों को मजबूर बनने पर विवश किए हुए हैं ,और इनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है । जिस कारण यह सभी मजदूर पैदल ही अपने घर तक पहुंचने के लिए बेचैन दिख रहे हैं और पैदल ही निकल रहे हैं,क्योंकि ना तो केंद्र सरकार और ना ही राज्य सरकार की ओर से इनके लिए गंतव्य स्थान तक पहुंचाने का कोई साधन उपलब्ध कराया जा रहा है । हद तो यह है कि ये सरकार इन मजदूरों का विश्वास जीतने में भी सफल नहीं हो पा रही है ,जिस कारण देश के लोगो को ऐसी स्थिति का लगातार सामना करना पड रहा है ,कभी सड़क हादसे का शिकार होना पड़ रहा है तो कभी रेल पटरी पर अपनी जानें गंवानी पड़ रही है । विडंबना यह है कि जब सड़कों और रेल पटरी पर ये चलते हैं तब स्थानीय स्तर पर राज्य सरकार या स्थानीय प्रशासन के द्वारा इनके भोजन -पानी की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है बल्कि इनके साथ अमानवीय व्यवहार के रूप में इन्हें लाठी के सहारे रोकने का प्रयास किया जाता है। ऐसी स्थिति आजाद भारत में पहली बार देखने को मिल रही है जो देश के लिए शर्मसार करने वाली स्थिति है। ज्ञात हो की लोग पटरियों पर चलते हुए औरंगाबाद जा रहे थे। मज़दूरों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया । वे पैदल चल रहे हैं। उनके पांवों में छाले पड़ गए हैं। बहुत से मजदूर रेल की पटरियों के किनारे किनारे चल रहे हैं ताकि घर तक पहुंचने का कोई सीधा रास्ता मिल जाए। मज़दूर न तो ट्विटर पर है। न फेसबुक पर और न न्यूज़ चैनलों पर है। वरना वो देखता कि उनको लेकर समाज कितना असंवेदनशील हो चुका है ।
एजाज ने आगे कहा कि मीडिया के द्वारा इन मजदूरों की मजबूरियों की कहीं चर्चा नहीं की जाती है हां जहां नफरत और धर्म के आधार पर बंटवारे की बात होती है उस पर मीडिया घंटो- घंटे चर्चे करती है ।यह है नए भारत का सोच हद तो यह है कि जो रेलगाड़ियां श्रमिको के नाम पर दी गई है उसमें भी इन सभी से भाड़ा वसूला जा रहा है या संबंधित राज्य सरकार या संस्थाओं के द्वारा भाड़ा चुकाने के बाद ही गंतव्य स्टेशन से उनके राज्य तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है ,
इन्होंने ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह कहते नहीं थकते हैं कि सबका साथ ,सबका विकास, सबका विश्वास लेकिन इन तीनों बातों पर केंद्र सरकार कहीं से भी खरी नहीं उतर रही है ना तो मजदूरों का साथ दे रही है ना ही मजदूरों का विश्वास जीत रही है और ना ही इनके विकास के लिए कोई कार्ययोजना तैयार की जा रही है, यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है ।
इस मामले में सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर दोषारोपण करके ही अपना इतिश्री कर ले रहे हैं और इसी में अपने राजनीतिक लाभ हानि का आकलन करते हैं जबकि देश के मजदूरों का बुरा हाल है। इन्होंने आगे कहा कि जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव लगातार मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है और इसके लिए लगातार राज्य सरकारों पर दबाव बना रहे हैं।