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इनके जैसा कोई कद्दावर नेता इस क्षेत्र में फिलहाल नहीं…. 12 विधानसभा क्षेत्रों पर है इनका प्रभाव

सारण प्रमंडल की राजनीति में पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह का दबदबा आज भी बरकरार है। वोटरों के दिलो-दिमाग में आज भी उनकी जीवंतता पहले की तरह बनी हुई है। फिलहाल महाराजगंज के पूर्व सांसद रहे प्रभुनाथ सिंह हत्या से जुड़े एक मामले में हजारीबाग जेल में बंद है। ऐसे में उनकी विरासत संभालने के लिए उनके पुत्र रणधीर सिंह आगे आएं है।

रणधीर छपरा से राजद के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीत चुके है

महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से राजद के प्रत्याशी रहे रणधीर एक बार छपरा से राजद के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीत चुके है। प्रभुनाथ सिंह के छोटे भाई केदारनाथ सिंह उनके गृह विधानसभा क्षेत्र बनियापुर से लगातार तीसरी बार विधायक है। गोरिया कोठी से राजद के निवर्तमान विधायक सत्यदेव सिंह की जीत भी प्रभुनाथ सिंह की जीत के रूप में ही है, क्योंकि विधानसभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा खेमे के कैडर रहे बसंतपुर के पूर्व विधायक सत्यदेव सिंह को प्रभुनाथ सिंह ही राजद में लेकर आए थे तथा उनके जीत के वाहक बने।

जदयू विधायक हेम नारायण शाह की जीत भी प्रभुनाथ सिंह की ही देन

महाराजगंज से जदयू विधायक हेम नारायण शाह की जीत भी पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह की ही देन है। तरैया से राजद विधायक मुद्रिका राय का यादव वोटरों पर तो अच्छा खासा प्रभाव है पर पिछले विधानसभा चुनाव में स्वर्ण वोटरों का चक्रव्यू प्रभुनाथ सिंह ने हीं तोड़ा । माझी में भी कांग्रेस के टिकट पर विजय शंकर दुबे की जीत प्रभुनाथ सिंह के चलते हैं संभव हो पाई थी।

टिकट कटने की स्थिति में जदयू विधायक साह जी प्रभुनाथ खेमे में शामिल होने को आतुर

बात अगर विरासत की करें तो प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर सिंह छपरा से राजद के टिकट से उम्मीदवार होंगे, वही भाई केदारनाथ सिंह बनियापुर विधानसभा क्षेत्र से राजद की लालटेन थामें नजर आएंगे। साथ ही साथ प्रभुनाथ खेमे के सत्यदेव सिंह गोरिया कोठी में भी लालटेन की लौ मजबूत करते नजर आएंगे। टिकट कटने की स्थिति में महाराजगंज के जदयू विधायक साह जी प्रभुनाथ खेमे में शामिल होने को आतुर दिख रहे है।

महाराजगंज लोकसभा व सारण लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी 12 विधानसभा क्षेत्रों पर को प्रभुनाथ सिंह का प्रभाव है ही साथ ही साथ बगल के सिवान जिले के और गोपालगंज जिलों के सीटों पर भी स्वर्ण वोटरों के बीच इनकी अच्छी खासी पकड़ है। इनकी एक अपील से पूरा समीकरण बदल सकता है। भतीजे युवराज सुधीर सिंह के तरैया से चुनाव लड़ने की तैयारी में लग जाने के बाद तरैया के प्रभुनाथ समर्थक दुविधा में हैं, पर सुधीर सिंह भी प्रभुनाथ सिंह के नाम पर ही उनके कैडरों को एकत्रित करने में लगे हुए है।

सुधीर ने विगत 10 वर्षों से तरैया में समाज सेवा के माध्यम से बनाई है अपनी पहचान

सुधीर विगत 10 वर्षों से तरैया में क्रिकेट व समाज सेवा के माध्यम से अपनी पहचान बनाने में लगे हुए थे और इसमें काफी हद तक सफल भी हुए है। युवा वोटरों पर उनका अच्छा खासा प्रभाव है। बाढ़ के दिनों में इन्होंने काफी बेहतर काम भी किया है, जिसका पारितोषिक इस बार विधानसभा चुनाव में मिलने की उम्मीद है।

रणधीर सिंह की स्थिति इस बार ज्यादा मजबूत

बात छपरा विधानसभा चुनाव की करें तो यहां पर उनके पुत्र रणधीर सिंह की स्थिति इस बार ज्यादा मजबूत दिखती है। पिछली बार भितरघात के कारण काफी क्लोज फाइट में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस बार चुनावी तैयारी काफी मजबूत दिखती है। प्रभुनाथ सिंह की पुत्री मधु सिंह मुंगेर लोकसभा के अंतर्गत आने वाले बाढ़ विधानसभा क्षेत्र से राजद की उम्मीदवारी चाहती हैं। उन्होंने भी पूरी मेहनत की है और उनका टिकट भी फाइनल दिख रहा है।

प्रभुनाथ सिंह जैसा कोई कद्दावर नेता सारण में फिलहाल नहीं 

सारण की राजनीति में गहरी पैठ रखने वाले जानकार बताते हैं कि प्रभुनाथ सिंह जैसा कोई कद्दावर नेता सारण में फिलहाल नहीं। उनके कट्टर समर्थक राजद में उनके होने से थोड़े नाराज जरूर रहे हैं पर उन्होंने कभी प्रभुनाथ का साथ नहीं छोड़ा है।

अमनौर में कृष्ण कुमार सिंह मंटू परसा में छोटे लाल राय व बरौली में रामप्रवेश राय का उदय भी पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के कारण ही हो पाया। माझी से जीत की हैट्रिक बनाने और नीतीश सरकार में मंत्री रहे गौतम सिंह को भी राजनीति में प्रभुनाथ सिंह के निकट संबंधी होने का फायदा मिला। धारा के विपरीत राजनीति करने के कारण अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाले प्रभुनाथ सिंह की दूसरी पीढ़ी पुत्र रणधीर सिंह भतीजे युवराज सिंह भाई केदारनाथ सिंह पुत्री मधु सिंह के कारण मजबूत दिखती है।

◆अनूप नारायण सिंह

(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं)