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कविता- क्या है जिंदगी ? बनते बिगड़ते हालातों का, नाम है जिंदगी।

प्राची सिन्हा

बनते बिगड़ते हालातों का,
नाम है जिंदगी।
जहाँ हर पल एक पन्ना जुड़ता ,
वह किताब है जिंदगी।।

कभी धूप कभी छाव,
है जिंदगी।
खुशनुमा पलों का ,
मकान है जिंदगी।।

बिना देखे जिंदा रखे ,
वो साँस है जिंदगी।
जो चैन कि नींद सुलाए,
वो रात है जिंदगी।।

ख्वाबो की रंगीन,
गुलाब है जिंदगी।
हसरतो की हसीन,
सौगात है जिंदगी।।

सोंदर्य से भरपूर,
बहुत खास है जिंदगी
परमात्मा द्वारा दी गई ,
वरदान है जिंदगी।।

जाड़े में कड़कड़ाती,
धूप सी है जिंदगी।
एक मधुर गीत की सुहावनी,
धुन है जिंदगी।।