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बिहार में मखाना की खेती के क्षेत्र विस्तार की असीम संभावनाएँ -संजय कुमार अग्रवाल

मखाना पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

सचिव, कृषि विभाग ने मखाना उत्पादक किसानों से किया सीधा संवाद

सचिव, कृषि विभाग, बिहार संजय कुमार अग्रवाल की अध्यक्षता में आज बामेती, पटना के सभागार में मखाना पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, कटिहार, पूर्णियाँ, किशनगंज, अररिया एवं खगड़िया जिले के मखाना उत्पादक किसानगण भाग लिये। इस कार्यशाला में सचिव, कृषि विभाग द्वारा इन जिलों के मखाना उत्पादक किसानों से मखाना उत्पादन में आने वाले कठिनाईयों के बारे में सीधा संवाद किया गया एवं समस्याओं को दूर करने हेतु संबंधित पदाधिकारियों को निदेश दिया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य मखाना उत्पादक किसानों एवं फोड़ीवालों (श्रमिकों) की चुनौतियों का समझना, फसल कटाई के उपरांत भण्डारण, मूल्यसम्वर्द्धन करना तथा जमीनी स्तर पर आने वाली समस्याओं के लिए नीति निर्माण हेतु पहल करना है।
बिहार में मखाना उत्पादन क्षेत्र को दोगुणा किये जाने का लक्ष्य
उन्होंने कहा कि बिहार में मखाना के मुख्य उत्पादक जिला दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, कटिहार, पूर्णियाँ, किशनगंज, अररिया एवं खगड़िया है। इन जिलों में मखाना की खेती तालाब एवं खेत पद्धति से की जाती है। मखाना की खेती (खेत प्रणाली) वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किये जाने से मखाना के क्षेत्र विस्तार की असीम संभावनाएँ बनी है। उन्होंने कहा कि बिहार में मखाना उत्पादन क्षेत्र को दोगुणा करने की संभावना है। इसके लिए सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना है। उन्होंने किसानों से कहा कि इसके लिए विभाग आपकी मदद करेगा। उन्होंने निदेश दिया कि अगले वर्ष के लिए अभी से लाभुकों का चयन शीघ्र किया जायेगा तथा किसानों को मखाना में नई बीज के उपयोग के प्रति जागरूक किया जाये। उन्होंने किसानों को मखाना का बीज हर दो साल पर बदलने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा बीज के मूल्य पर 75 प्रतिशत अथवा 5400 रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान की व्यवस्था की गई है।

खेतों में मखाना उत्पादन को दिया जा रहा बढ़ावा

राज्य के 10 जिलों में से विशेषकर पूर्णियाँ प्रमण्डल में किसानों द्वारा खेतों में मखाना की खेती बहुतायत की जाती है। खेत में मखाना की खेती करने के लिए 2-3 फीट का गड्ढा करना पड़ता है। खेत में मखाना की खेती करने वाले किसान धान (अल्पावधि)-सरसों-मखाना का फसल चक्र अपनाकर एक से अधिक फसल लेते है, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ होता है। मखाना का खेतों में उत्पादन को प्रोत्साहन देने से मखाना के क्षेत्र विस्तार को बढ़ावा मिलेंगा।
10 जिलों में मखाना बेसलाईन सर्वेक्षण का कार्य मई तक किया जायेगा पूरा
कृषि विभाग द्वारा उत्पादक किसानों तथा खेत, तालाब तथा खेत एवं तालाब प्रणाली से मखाना उत्पादन क्षेत्रफल तथा किसानों के पास उपलब्ध आधारभूत सुविधाओं का सर्वे कराया जा रहा है। यह सर्वे कार्य मई माह में पूर्ण कर लिया जायेगा। अभी तक के आँकड़ों के अनुसार 10 जिलों के 3393 गाँवों, 781 ग्राम पंचायत तथा 67 प्रखण्डों में मखाना की खेती की जाती है। उन्होंने कहा कि आँकड़ों के अनुसार तालाब के मुकाबले खेतों में मखाना उत्पादन का रकबा बढ़ा है। अभी तक सर्वे के अनुसार राज्य में मखाना उत्पादक किसानों की संख्या 9777 है, जिनमें 829 किसान तालाब प्रणाली, 8871 किसान खेत प्रणाली तथा 77 किसान दोनों प्रणाली से मखाना का उत्पादन करते हैं।

अगले वर्ष के लिए लाभुकों का चयन का कार्य शुरू

उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में मखाना विकास योजना के तहत् मखाना के उन्नत प्रजाति का बीज उत्पादन, बीज वितरण, क्षेत्र विस्तार (खेत प्रणाली) एवं मखाना की खेती में परम्परागत तरीकों से निर्मित एवं प्रयुक्त किट जैसे औका/गाॅज, कारा, खैची, चलनी, चटाई, अपरा, थापी के क्रय के लिए कुल 577.525 लाख रूपये वर्तमान वर्ष के लिए स्वीकृति दिया गया है। इस योजना के अन्तर्गत अवयववार 75 प्रतिशत सहायतानुदान दिया जा रहा है। मखाना उत्पादन क्षेत्रों में ड्रोन के माध्यम से अनुदानित दर पर पौधा संरक्षण दवाओं का छिड़काव किया जायेगा। इसके लिए संबंधित सहायक निदेशक उद्यान को यह जवाबदेही दी गई है कि किसानों का नाम, पता, रकबा की जानकारी शीघ्र उपलब्ध कराया जाये।

पूरे भारत का 85 प्रतिशत मखाना का उत्पादन बिहार में

सचिव, कृषि विभाग, बिहार संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि बिहार में पूरे भारत का 85 प्रतिशत मखाना उत्पादित होता है। हम सबकी भूमिका होगी कि किस तरह हम मखाना को गौरव के तरफ ले जा सकते हैं। खेती में विविधता आयेगी, तभी किसानों की आमदनी बढ़ेगी। अभी राज्य के उत्तर बिहार के कुछ जिलों में मखाना की खेती होती है, लेकिन कई जिलों में मखाना उत्पादन नहीं होता है। उन जिलों में पानी की कमी नहीं है। अतः उन जिलों में मखाना का क्षेत्र विस्तार करना होगा। मखाना के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ में की जा रही है। मिथिला मखाना को 16 अगस्त, 2022 को जी॰आई॰ टैग (भौगोलिक संकेतक) मिला है, जो राज्य के लिए गौरव का विषय है। आज देश से मखाना का निर्यात यूरोपियन देशों, अमेरिका तथा खाड़ी देशों में किया जा रहा है। आज भी माँग के अनुसार मखाना पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है।

मखाना प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने हेतु बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ एवं मखाना अनुसंधान संस्थान की पहल का नतीजा है कि वित्तीय वर्ष 2012-13 की तुलना में वित्तीय वर्ष 2021-22 में मखाना आच्छादित रकवा में 171ः एवं मखाना पॉप उत्पादन में 152ः की वृद्धि आँकी गयी है। राज्य में चयनित एक्स्पोर्ट ओरियेन्टेड 7 सेक्टर्स में मखाना को भी शामिल किया गया है, जिसके अंतर्गत मखाना प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने हेतु बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति की शुरूआत वर्ष 2020 में की गयी है। इस नीति के तहत् प्रोसेसिंग के क्षेत्र में प्रोत्साहन के लिए पूंजीगत अनुदान का प्रावधान है।

मखाना भण्डार गृह के निर्माण हेतु राशि स्वीकृत
श्री अग्रवाल ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत मखाना भण्डार गृह के निर्माण हेतु 375 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई है। इसका भौतिक लक्ष्य 50 इकाई है। उन्होंने कहा कि मखाना की खेती के लिए प्रति इकाई लागत 10 लाख रूपये पर 75 प्रतिशत यानि 7.5 लाख रूपये दो किस्तों में सहायतानुदान दिया जायेगा।
इस अवसर पर कृषि विभाग के अपर सचिव शैलेन्द्र कुमार, निदेशक उद्यान अभिषेक कुमार, निदेशक, बामेती, आभांशु सी॰ जैन, भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के वरीय वैज्ञानिक डाॅ॰ अनिल कुमार, राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केन्द्र, दरभंगा के वरीय वैज्ञानिक एवं भारतीय स्टेट बैंक के पदाधिकारी उपस्थित थे।