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भुखमरी के मुहाने पर खड़े अतिथि शक्षकों ने, मानदेय भुगतान के लिए कुलपति से लगाई गुहार

पटना (बिहार) : बुधवार को बिहार के मधेपुरा जिला मुख्यालय स्थित भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के अंतर्गत विभिन्न संबद्ध महाविद्यालय में तैनात शक्षकों के लिए बने अतिथि शिक्षक संघ ने विश्वविद्यालय कुलपति ए.के. राय को एक आवेदन सौंपते हुए, अपने मानदेय भुगतान की गुहार लगाई है । उनके द्वारा दिए गए आवेदन के अनुसार, उनकी नियुक्ति के बाद से अभी तक, किसी भी प्रकार का कोई मानदेय का भुगतान नहीं हो सका है । जिसके कारण दूसरे जिलों के निवासी अतिथि शिक्षकों को, जो भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के अंतर्गत विभिन्न महाविद्यालयों में कार्यरत हैं, उनके समक्ष अपने परिवार के गुजर-बसर के लिए भी मुश्किल हालात पैदा हो गए हैं । आर्थिक संकट, बेहद बुरी तरह से गहरा जाने की वजह से, उन्हें जिंदगी से जंग लड़नी पड़ रही है । इन अतिथि शिक्षकों का कहना है कि उनके द्वारा दिए गए आवेदन पर विश्वविद्यालय प्रशासन मौन है ।
अतिथि शिक्षक संघ की ओर से डॉ. मनोज कुमार ठाकुर एवं डॉ. सतीश कुमार दास द्वारा दिए गए आवेदन के अनुसार, बीते वर्ष नवंबर महीने में भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय द्वारा अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पहली मेधा सूची जारी की गई थी । जिसके आलोक में, नवंबर माह में ही सैकड़ों अतिथि शिक्षकों ने अपना योगदान दे दिया था । जिसके बाद दूसरी और अंतिम मेधा सूची भी, इस वर्ष जनवरी में जारी की गई थी । ऐसे में विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों में कुल 195, अतिथि शिक्षकों ने अपना योगदान दिया था । अतिथि शिक्षकों के योगदान के बाद, जहां महाविद्यालय में शैक्षणिक गतिविधि में काफी सुधार देखने को मिला, वहीं छात्र-छात्राओं के बीच विभिन्न विषयों के खाली पदों पर अतिथि शिक्षकों द्वारा दिए गए योगदान के बाद पठन-पाठन में भी काफी और उत्तरोत्तर सुधार होना शुरू हो गया । ऐसे में अतिथि शिक्षक लगातार कार्य करते आ रहे हैं । लगातार सेवा देते रहने के बाद भी, उन्हें नियुक्ति की अवधि के बाद से, अब-तक किसी भी तरह के मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है । ये सारे अतिथि शिक्षक, वित्तीय वर्ष 2019-20 के समाप्ति के दौरान, मानदेय भुगतान की उम्मीद पाले बैठे थे । गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष की समाप्ति के दौरान, उनके मानदेय के भुगतान हो जाने का विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा आश्वासन भी दिया गया था । लेकिन आश्वासन के सिवा, उनके भुगतान के लिए कोई प्रक्रिया नहीं अपनायी गई । इस दौरान मार्च महीने में, कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान ये अतिथि शिक्षक, जहाँ-तहाँ रुके हुए हैं । ऐसे में उन्हें किराना समान सहित अन्य आवश्यक सामानों की उधारी भी, दुकानदारों ने देना बंद कर दिया है । साथ ही, दुकानदारों से पूर्व में लिए गए उधारी के सामानों के तगादे और माँग, उनके द्वारा लगातार की जा रही है । ऐसे में उनके समक्ष अपने परिवार के छोटे-छोटे बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल करना मुश्किल साबित रहा है । वहीं, ये अतिथि शिक्षक, अपने कार्यस्थल से अपने घर तक भी नहीं पहुंच पा रहे हैं । ऐसे में, दोहरी मार झेल रहे ये अतिथि शिक्षक काफी आक्रोशित और विश्वविद्यालय प्रशासन की चुप्पी से, खुद को बहुत असहज महसूस कर रहे हैं । अब उनके समक्ष पूरे परिवार के साथ लॉकडाउन के नियमों को तार-तार कर अपने-अपने घर वापस जाने की मजबूरी दिख रही है । किराना दुकानदार की रोज जली-कटी सुनने का, अब कोई दूसरा विकल्प भी बांकि नहीं रह गया है । ऐसे में, अतिथि शिक्षक संघ ने विश्वविद्यालय कुलपति से अपने मानदेय की भुगतान की गुहार लगाई है । आगे यह देखना बेहद लाजमी होगा कि अतिथि शिक्षकों के द्वारा गए इस मांग पत्र पर, विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा, आगे किस तरह के कदम उठाते हैं ? वैसे इन अतिथि शिक्षकों का जीवन बीच मँझदार में फंसा हुआ है और इन्हें, शीघ्रता से किसी तारणहार की जरूरत है ।
*वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार सिंह*