टेलीमेडिसिन ने बदली गाँवो की तस्वीर, गरीबों के लिए मसीहा बनकर उभर रहें हैं मोदी की डिजिटल सेना
लॉकडाउन में सरकारी चिकित्सक कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों के इलाज में जुटे हैं वहीं बड़े-बड़े अस्पतालों में कोरोना का प्रभाव नजर आ रहा है। ऐसी परिस्थिति हो गयी है कि आम मरीजों, बच्चों और बुजुर्गों के स्वस्थ को लेकर लोग खासे परेशान है।
ऐसे में भारत सरकार की ओर से कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से चल रही टेलीमेडिसिन की योजना लोगों को राहत पहुँचाने का कार्य कर रही है। कॉमन सर्विस सेंटर के भीएलई लॉकडाउन में गरीब ग्रामीणों के लिए मसीहा बनकर उभर रहे हैं। अगर कोई ग्रामीण बीमार होने पर उन्हें वीडियो कान्फ्रेसिग कराकर विशेषज्ञ चिकित्सकों से उपचार करा रहे हैं। वहीं लोगों को आरोग्य एप डाउनलोड करवाने और कोरोना से बचाव के बारे में जागरूक कर रहे हैं। हर जिले में सौ सीएचसी संचालक इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं।
इस सर्विस के माध्यम से लोग अपने किसी भी नजदीकी सीएससी सेण्टर पर जाकर ऑनलाइन चिकित्सकों से बात कर के सलाह ले सकते हैं। महज एक रूपये के शुल्क को अदा कर अपोलो बड़े-बड़े अस्पतालों के डॉक्टर्स से ऑनलाइन परामर्श ले रहे हैं। इससे लॉकडाउन में उन्हें बीमारी से लड़ने में ताकत मिल रही है। वह ठीक हो रहे हैं। यह मदद कोरोना महामारी में लड़ने में भी सहायक सिद्ध हो रही है।
उपरोक्त सर्विस को लेकर केन्द्रीय संचार, सुचना एवं प्रोद्योगिकी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अपने सीएससी के भीएलई से संवाद के क्रम में बताया था कि पुरे देश में लगभग 35 हजार लोग टेलीमेडिसिन का लाभ उठा चुके हैं।
सीएससी के सीईओ डॉक्टर दिनेश त्यागी ने बताया कि लॉकडाउन में टेलीमेडिसिन सर्विस आम लोगों के बीच में स्वस्थ के क्षेत्र में वरदान साबित हो रही है। केंद्र की डिजिटल इंडिया पॉलिसी के तहत इन सेंटरों चिकित्सा सेवाओं की शुरुआत हुई थी। यदि परिवार का कोई सदस्य बीमार पड़ता था और देश के सबसे बड़े माने जाने वाले अस्पताल एम्स में उपचार कराना चाहता था तो उसे वहां जाकर पहले रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता था। इसके बाद भी कब तक नंबर आए इसका पता नहीं। ऐसे में मरीज और परिवार वाले दोनों ही परेशान रहते थे।
टेलीमेडिसिन की सुविधा के तहत अब दिल्ली या अन्य एम्स में पंजीकरण के लिए दौड़ नहीं लगानी होगी। आधार कार्ड लेकर अपने शहर के नजदीकी सीएससी में पंजीकरण करा सकते है। ऑनलाइन ही पंजीकरण होने के बाद एम्स द्वारा संबोधित व्यक्ति को परामर्श के लिए आने की तिथि भी बताई जाएगी। उस तिथि पर एम्स जाकर आप उपचार करा सकेंगे।
गौरतलब है कि पुरे देश में टेलीमेडिसिन के माध्यम से 35 हजार लोगों ने इस सर्विस का इस्तेमाल किया इसमें सिर्फ बिहार में 14 हजार लोगों इसका फायदा उठाया है।
बिहार के स्टेट हेड संतोष तिवारी के अनुसार सीएससी सेण्टर के संचालक मरीजों को घर तक भी यह सुविधा पंहुचा रहे हैं। श्री तिवारी के अनुसार सीएससी ने लॉकडाउन में इस सर्विस को एक अभियान की रूप में चलाया है।
बिहार के राज्य प्रबंधक और टेलीमेडिसिन के राज्य प्रभारी मुदित मणि ने बताया कि पुरे बिहार के हरेक जिलों में प्रति दिन कैंप लगाकर यह सुविधा उपलब्ध कराया जा रहा है।
मधुप मणि "पिक्कू" संपादक, भारत पोस्ट / बिहार पत्रिका