ख़बरराष्ट्रीय

‘PM स्वनिधि योजना’: स्ट्रीट वेंडर का होगा समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास

याद हो, दो साल पहले पीएम मोदी ने कहा था कि ” ‘पीएम स्वनिधि योजना’ को सिर्फ स्ट्रीट वेंडर्स को कर्ज देने के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि इसे उनके समग्र विकास और आर्थिक उत्थान के रूप में भी देखा जाना चाहिए। इस दिशा में एक कदम से उनका पूरा सामाजिक आर्थिक विवरण मिल जाएगा, जिससे आवश्यक नीतिगत कदम उठाना आसान हो जाएगा। पात्र लोगों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लाभ पहुंचाने के लिए भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों द्वारा भी इस डाटा का इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसमें पीएमएवाई-यू के अंतर्गत आवास, उज्ज्वला के अंतर्गत रसोई गैस, सौभाग्य के अंतर्गत बिजली, आयुष्मान भारत के अंतर्गत स्वास्थ्य, डीएवाई-एनयूएलएम के अंतर्गत कौशल, जन धन के अंतर्गत खाता आदि शामिल हैं।”

पीएम मोदी के इसी विजन के अनुरूप ”प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना” आज रेहड़ी-पटरी वालों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के अन्तर्गत रेहड़ी-पटरी वाले अपने काम को दोबारा शुरू करने के लिए 10,000 रुपए तक का कर्ज ब्याज सब्सिडी के साथ प्राप्त कर सकते हैं। यहां इस योजना की बात इसलिए की जा रही है क्योंकि पीएम स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि यानि ”पीएम स्वनिधि” को दिसंबर 2024 तक विस्तार दिया गया है।

क्या है पीएम स्वानिधि योजना?

पीएम स्ट्रीट वेंडर की आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वानिधि) योजना का शुभारंभ 1 जून, 2020 को एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में किया गया था। यह योजना नियमित पुनर्भुगतान पर 7% की दर से ब्याज सब्सिडी के साथ 10,000 रुपए तक की किफायती कार्यशील पूंजी के ऋण की सुविधा भी प्रदान करती है। रेहड़ी-पटरी वालों को ऋण के लिए कोई अतिरिक्त भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। यह योजना ऋण देने वाली संस्थाओं को पोर्टफोलियो के आधार पर ग्रेडेड गारंटी कवर प्रदान करती है।

दिसंबर 2024 तक योजना को जारी रखने की मंजूरी

इस संबंध में केन्द्र सरकार ने बुधवार को मार्च 2022 से दिसंबर 2024 तक प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) के तहत ऋण को जारी रखने की मंजूरी दे दी है। पीएम मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की।

स्ट्रीट वेंडर बन रहे आत्मनिर्भर

ज्ञात हो, इस योजना के माध्यम से स्ट्रीट वेंडर्स को किफायती संपार्श्विक-मुक्त ऋण की सुविधा प्रदान की जाती है। इससे स्ट्रीट वेंडरों को अपने व्यवसाय का और अधिक विस्तार करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्यशील पूंजी प्रदान की जाती है। इस योजना में 5,000 करोड़ रुपए तक के ऋण देने की परिकल्पना की गई थी। केंद्र सरकार की इस मंजूरी ने ऋण राशि को बढ़ाकर अब 8,100 करोड़ रुपए कर दिया है।

अब तक 31.9 लाख ऋण किए मंजूर

इस साल 25 अप्रैल तक 31.9 लाख ऋण स्वीकृत किए जा चुके हैं और 29.6 लाख ऋण की राशि के तौर पर 2,931 करोड़ का वितरण किया जा चुका है। याद हो भारत सरकार ने कारोबार पुनः शुरू करने के लिहाज से लगभग 50 लाख स्ट्रीट वेंडर्स को एक साल की अवधि का 10,000 रुपए तक का गिरवी मुक्त कार्यशील पूंजी कर्ज उपलब्ध कराने वाली ”पीएम स्वनिधि योजना” का शुभारम्भ किया था।

अच्छे भुगतान व्यवहार और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए क्रमशः ब्याज सब्सिडी (7 प्रतिशत प्रति वर्ष) और कैशबैक (1,200 रुपए तक) के रूप में प्रोत्साहन दिया जा रहा है। 24 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर 10,000 रुपए के कर्ज के लिए ब्याज सब्सिडी प्रभावी रूप से कुल ब्याज की 30 प्रतिशत होती है।

कर्ज पर मिल रही सब्सिडी

इसलिए, प्रभावी रूप में वेंडर को किसी प्रकार का ब्याज नहीं चुकाना होता है, इसके बजाय समय से भुगतान और सभी प्राप्तियों व भुगतान के लिए डिजिटल लेनदेन का उपयोग करने की स्थिति में उसे कर्ज पर सब्सिडी मिलती है। यह योजना जल्दी या समय से भुगतान पर आगे और बड़ा कर्ज दिए जाने पर जोर देती है। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के आईटी प्लेटफॉर्म “पीएम स्वनिधि” के माध्यम से 2 जुलाई, 2020 से कर्ज देने की शुरुआत हो गई थी। सिडबी इस योजना के लिए क्रियान्वयन एजेंसी है।

1.2 करोड़ लोगों को लाभ

वहीं डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए स्ट्रीट वेंडर्स की कैशबैक की राशि भी बढ़ाई जा चुकी है। इस मंजूरी से शहरी भारत के लगभग 1.2 करोड़ नागरिकों को लाभ होने की उम्मीद है। पीएम स्वनिधि के तहत महत्वपूर्ण उपलब्धियां पहले ही हासिल की जा चुकी हैं।

स्ट्रीट वेंडर्स की कैशबैक राशि बढ़ाई

पीएम स्वनिधि योजना के तहत डिजिटल लेनदेन पर कैशबैक मिल रहा है, जिन रेहड़ी-पटरी वालों को डिजिटल लेन-देन नहीं करना आता, उन्हें ऑनलाइन पेमेंट कंपनियों, नगर निगम और बैंक अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है। पीएम स्वनिधि को योजना के अंतर्गत रेहड़ी-पटरी वालों को डिजिटल लेनदेन करने पर वर्ष भर में 1,200 रुपए तक कैशबैक मिल रहा है।

डिजिटल भुगतान के उपयोग से स्ट्रीट वेंडर को मिलेगी मदद

दरअसल, केंद्र सरकार ने इस बात को ध्यान में रखा है कि स्ट्रीट वेंडर्स द्वारा एंड-टू-एंड (पूर्ण रूप से) डिजिटल लेनदेन का उपयोग करने वालों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। इसके दायरे में कच्चे माल की खरीद से लेकर बिक्री आय के संग्रह तक उनका पूरा कारोबार होना चाहिए। इस उद्देश्य के लिए उचित प्रोत्साहन और प्रशिक्षण दिए जाने चाहिए। इसी को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार द्वारा स्ट्रीट वेंडर्स प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। डिजिटल भुगतान के उपयोग से स्ट्रीट वेंडर का क्रेडिट प्रोफाइल बनने में भी सहायता मिलेगी, जिससे उनके लिए भविष्य की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करना आसान हो जाएगा।

दिया जा रहा प्रशिक्षण

केंद्र सरकार स्ट्रीट वेंडर्स के लिए डिजिटल ऑनबोर्डिंग और प्रशिक्षण के लिए एक विशेष अभियान ‘मैं भी डिजिटल 3.0’ चला रही है। आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से देशभर के 223 शहरों में पीएम स्वनिधि योजना के तहत स्ट्रीट वेंडर्स के लिए डिजिटल ऑनबोर्डिंग और प्रशिक्षण के लिए एक विशेष अभियान ‘मैं भी डिजिटल 3.0’ का शुभारंभ किया गया। यूपीआई आईडी, क्यूआर कोड जारी करने और डिजिटल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए भारतपे, एमस्वाइप, फोनपे, पेटीएम, एसवेयर ने इस अभियान में भाग लिया। डिजिटल लेन-देन और व्यवहार में बदलाव को अपनाने के लिए डिजिटल भुगतान समूह स्ट्रीट वेंडर्स को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए ऋण देने वाले संस्थानों (एलआई) को एक स्थायी क्यूआर कोड सौंपने और लाभार्थियों को संवितरण के एक सप्ताह के भीतर डिजिटल रसीद और भुगतान लेनदेन करने के लिए प्रशिक्षित करने का निर्देश जारी किया गया है।

देशभर से 32 लाख से अधिक LOR आवेदन प्राप्त

देशभर से 32 लाख से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों द्वारा LOR यानि लेटर ऑफ रिकमंडेशन (LETTER OF RECOMMENDATION) के लिए आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, जिसमें से 29 लाख से अधिक आवेदन अब तक स्वीकृत किए जा चुके हैं।

स्ट्रीट वेंडर्स को फूड कोर्ट में मिलेगी जगह

स्ट्रीट वेंडर्स के बेहतर विकास के लिए प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के अंतर्गत नगर-निगम में रजिस्टर्ड स्ट्रीट वेंडर्स को फूड कोर्ट में बसाने की योजना है। इसके हकदार केवल वे स्ट्रीट वेंडर होंगे जो फूड कोर्ट के लिए पहले से रजिस्टर्ड होंगे। इस संबंध में ज्यादा जानकारी के लिए आप pmsvanidhi.mohua.gov.in पर वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।

अब रेहड़ी वाले भी कर सकेंगे होम डिलीवरी

केंद्र सरकार की इस योजना से रेहड़ी-पटरी वालों को इतना फायदा मिला है कि अब रेहड़ी-पटरी वाले भी अपने उत्पादों की होम डिलीवरी कर रहे हैं। यानि भारत में उनका रोजगार और भी सशक्त हो गया है। वहीं SVAD के अंतर्गत fssaiindia यानि भारतीय खाद्य सुरक्षा लाइसेंस पंजीकरण के लिए नाम मात्र की राशि ली जा रही है। पंजीकरण के तहत आवेदन के लिए महज 100 रुपए देने होंगे, बाकी की राशि सरकार देती है। अधिक जानकारी के लिए आप नजदीकी नगर-निगम पर जाएं।

स्वादिष्ट व्यंजन की आधुनिक दुकान अभियान

केंद्र सरकार द्वारा स्वादिष्ट व्यंजन की आधुनिक दुकान (#SVAD) का एक अभियान अलग से जारी है। स्वादिष्ट व्यंजन की आधुनिक दुकान अभियान द्वारा सरकार ने रेहड़ी-पटरी वालों के स्वादिष्ट व्यंजनों को जोमैटो और स्विगी की सुविधाओं से जोड़ा है। इससे वे अपने उत्पाद अब इन प्लेटफॉर्म पर भी बेच सकते हैं।

याद हो, प्रधानमंत्री स्वनिधि कार्यक्रम श्रेणी में साल 2021 के लिए वाराणसी को देश भर में प्रथम प्रधानमंत्री पुरस्कार प्राप्त हुआ था। यह पुरस्कार एक अप्रैल 2018 से 31 दिसंबर 2021 के बीच किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए दिया गया था। गौरतलब है कि अब तक पीएम स्वनिधि योजना से वाराणसी में लगभग 30 हजार से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं।