Skip to content
logo

  • होम
  • ख़बर
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • राज्य
  • बिहार
  • पटना
  • विविध
  • सिनेमा / टीवी
विविधसम्पादकीय

मनुष्य को मनुष्यता का पाठ पढ़ाने वाली शिक्षा

June 10, 2020 Manju Shree
डॉo सत्यवान सौरभ,
आधुनिक परिवेश में सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने का यदि कोई कार्य कर रहा है तो वह कलाकार ही हैं| मनुष्य को मनुष्यता का पाठ पढ़ाने वाली शिक्षा, जिसमें त्याग, बलिदान और अनुशासन के आदर्श निहित हैं, यदि कहीं संरक्षित है तो वह मात्र लोक कलाओं में ही है|  लेकिन कोरोना महामारी के कारण देश भर में कला क्षेत्र के लोग रोजी रोटी के लिए तरस गए है, इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि दुनिया भर के लोगो को अपनी कलाओं और हुनर से जगरूक करने वाले लोग अपने अधिकारों के लिए आगे नहीं आये|
अनलॉक-1 लागू हुआ है तो भी इस तरह के कार्यक्रमों की न तो अनुमति है और न ही अवसर है |

उन्होंने अपने आप ही सब कुछ ठीक होने में संतुष्टि समझी लेकिन उनको क्या पता था कि ये दौर बहुत लम्बा चलेगा और मंच, नुक्कड़ व् सिनेमा उनसे कोसों दूर हो जायेगा परिणामस्वरूप आज उनके पास काम नहीं है बड़े कलाकार तो जमा पूँजी पर गुजरा कर लेंगे लेकिन परदे के पीछे के कलाकारों का आज बुरा हाल है उनके लिए तो मजदूरों और प्रवासी लोगो जैसे सुर्खिया, खबरें, योजनाएं लॉक डाउन में ही कैद होकर रह गई है |

हमारे देश और प्रदेश में वसंतोत्स्व से त्योहारों का शुभारंभ माना जाता है

कलाकार समाज और संस्कृति के वाहक और महत्त्वपूर्ण अंग होते हैं। यही कलाकार सभ्यता और संस्कृति को समृद्ध व समाज को जागरूक करने का कार्य करते हैं। हमारे देश और प्रदेश में वसंतोत्स्व से त्योहारों का शुभारंभ माना जाता है। यह वह समय होता है जब उत्सव अपनी चरम सीमा पर होते थे और लोगों में खुशी और उत्साह का संचार होता था।

परंतु वर्तमान परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए यह कहना  होगा कि सरकार ने कोरोना संकट से उभरने के लिए सभी तरह के उत्सवों एवं मेलों में सोशल डिस्टेंसिंग और मिनिमम सोशल गैदरिंग को ध्यान में रखते हुए इन पर पाबंदी लगाई है। जैसे-जैसे लॉकडाउन बढ़ता गया, आगे के कार्यक्रम निरस्त होते गये|  लॉकडाउन को लागू हुए दो माह से अधिक का समय बीत चुका है। इसे अब खोला जा रहा है, अब जब अनलॉक-1 लागू हुआ है तो भी इस तरह के कार्यक्रमों की न तो अनुमति है और न ही अवसर है |
यहीं से इन कलाकारों का घर-परिवार चलता था। लोक कलाकारों के परिवारों पर इसका सीधा असर देखने को मिल रहा है। इन कलाकारों की रोजी-रोटी व आजीविका का साधन ही ये त्योहार, जागरण, शादियां  या भागवत होते थे। अब लॉकडाउन के चलते इनके घरों का चूल्हा जलना मुश्किल हो गया है। ये कलाकार जिस भी क्षेत्र में निपुण होते हैं, उस क्षेत्र में अपनी कला का जौहर बखूबी इन्हीं कार्यक्रमों में प्रदर्शित करते थे, चाहे वह फिर गायन, नृत्य, संगीतकार अथवा अभिनय से ही संबंधित क्यों न हो।

लोक कलाकार, म्यूजिशियन, साउंड सिस्टम आपरेटर और टैंट हाउस वाले अपने-अपने घर में कैद हैं और इन लोक कलाकारों की आजीविका पर कोरोना का ग्रहण लग गया है। भारत के विभिन्न लोकनाट्य यथा रामलीला, रासलीला, नौटंकी, ढोला, चौबोला, स्वांग, नाचा, जात्रा, तमाशा, ख्याल, रम्मान, यक्षगान, दशावतार, करियाला, ओट्टन थुलाल, तेरुक्कुट्टू, भाम कलापम, लोकगायन, वादन, जवाबी कीर्तन, लोकनृत्य, कठपुतली नृत्य, तथा चित्रकारी आदि से जुड़े लाखों कलाकार आज रोजी-रोटी की समस्या से ग्रसित है कुछ लोक कलाकार सोशल मीडिया जैसे फेसबुक पेज अथवा यू-ट्यूब में लाइव आकर लोगों का भरपूर मनोरंजन कर अपने आपको लोगों के बीच जीवंत रखे हुए हैं।

लोक कला ही जिनके जीवन का आधार एवं रोजगार है, कोविड-19 के चलते उनका जीवन आज अनिश्चतताओं से भर गया है| उन लोक कलाकारों को यदि छोड़ दें, जिन्होंने किसी तरह से अपनी पहचान राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बना ली है तो शेष सभी कलाकारों को अपनी कला प्रदर्शन के बदले मात्र इतना ही मिलता है जिससे जैसे-तैसे वे अपना गुजारा ही कर पाते हैं|  इनकी कमाई भी इतनी नहीं कि वह बिना कोई कार्यक्रम किये लम्बे समय तक अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें|

देश के सुदूर ग्रामीण अंचलों से लेकर बड़े शहरों तक में निवास करने वाले इन कलाकारों की कला का सारा दारोमदार लोक कला के कद्रदानों पर होता है|  यह भी सत्य है कि हर कलाकार को प्रतिदिन कार्यक्रम नहीं मिलते हैं| परन्तु वर्ष के कम से कम आठ महीने ऐसे होते हैं जब उन्हें हर माह पन्द्रह से बीस कार्यक्रम तो मिल ही जाते हैं|  कोविड-19 के चलते मार्च के तीसरे सप्ताह से सामाजिक दूरी की अनिवार्यता लागू होते ही इनके वो  निश्चित कार्यक्रम निरस्त हो गये|

जिस गति से देश में कोविड-19 के मरीज बढ़ रहे हैं और इसकी दवा का अभी तक कहीं कोई पता नहीं है, उससे अश्विन नवरात्रि तक के कार्यक्रम भी होते हुए नहीं दिखायी दे रहे हैं| ऐसे में पूर्ण व्यावसायिक लोक कलाकारों के सामने परिवार के भरण-पोषण का गम्भीर संकट उत्पन्न हो गया है|  लॉकडाउन के चलते सन्नाटा पसरा है. दुनिया भर में लोगों को घरों की चारदीवारी में कैद करने वाली कोरोना वायरस महामारी ने जीवन से गीत, संगीत, खेलकूद सभी कुछ मानों छीन लिया ह|

ऐसे में मानवीय संवेदनाओं के संवाहक की भूमिका निभा रहे लोक कलाकारों की व्यथा और भी गहरी है क्योंकि इनमें से अधिकतर ज्यादा पढे़ लिखे नहीं होने के कारण सोशल मीडिया की शरण भी नहीं ले सकते। ऐसे में ख़ाली बैठे लोक कलाकार आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. सरकार को विचार करना चाहिये कि लोक कलाकारों के लिये कोई प्रबंध किया जाये क्योंकि वे कहां जाकर किससे मांगेंगे।

सहायता के लिए भारत सरकार एवं सभी राज्य सरकारों को सोचना चाहिए और जल्द से जल्द कोई  मददगार योजना लानी चाहिए, हम सभी को ये दुआ करनी चाहिए  कि जल्द ही कोरोना के कहर का बादल छंटे तो उनकी जिंदगी में कलाओं के रंग फिर से सजें. अन्यथा प्रवासी मजदूरों की तरह लोक कलाकारों  की ये समस्या बेरोजगारी का भयावह रूप ले सकती है|  ऐसे समय में समाज को दिशा देने वाले और अच्छी चीज़ों को जन-जन तक पहुँचाने वाले कहाँ से आएंगे|

  सरकारों ने जिस तरह से दूसरे राज्यों से घर लौटे  बेरोजगारों को रोजगार देने की मुहिम छेड़ी है, उसी तर्ज पर  लोक कलाकारों के लिए विशेष नीति बनाकर उन्हें कुछ आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाकर उनके तनाव को कम करने की जरूरत है ताकि वो समाज में आये तनाव को कम कर सके। जहां कला व कलाकार का सम्मान होता है, वहीं विकास के साथ-साथ परंपरागत सांस्कृतिक मूल्यों का सम्मान तथा संरक्षण भी होता है। यदि हम कला व कलाकार का सम्मान करेंगे, तभी हम अपनी धरोहर को सहेज पाएंगे |
 
डॉo सत्यवान सौरभ, 

रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, दिल्ली यूनिवर्सिटी, 
कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार
Attachments area
ReplyForward

  • सचिव सूचना एवं जन-सम्पर्क, सचिव स्वास्थ्य एवं अपर पुलिस महानिदेशक, पुलिस मुख्यालय ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर किये जा रहे कार्यों की दी अद्यतन जानकारी
  • भागलपुर में सेक्स रैकेट का खुलासा ,4 लड़कियां पकड़ी गयी

You May Also Like

बिहार सरकार पर्यटन मंत्री प्रेम कुमार के कर कमलो से हिंदी एल्बम सॉन्ग “बेकरारी” एवं “कसक”रिलीज

February 15, 2024 Manju Shree

आज जौ या राई खा कर निकलें घर से बाहर, पढें 01 जनवरी शुक्रवार का पञ्चाङ्ग

December 31, 2020 Manju Shree

जानिये कैसा रहेगा आपका दिन, पढ़े 07 नवंबर शनिवार का पञ्चाङ्ग

November 6, 2020 Manju Shree
एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैंडीक्राफ्ट द्वारा गुरु शिष्य हस्तशिल्प प्रशिक्षण प्रोग्राम के तहत टिकुली पेंटिंग क्राफ्ट के प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन
पटनाबिहारशिक्षा

एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैंडीक्राफ्ट द्वारा गुरु शिष्य हस्तशिल्प प्रशिक्षण प्रोग्राम के तहत टिकुली पेंटिंग क्राफ्ट के प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन

June 17, 2025 बीजेन्द्र कुमार

दानापुर के संघर्ष संस्था में EPCH एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैंडीक्राफ्ट द्वारा गुरु शिष्य हस्तशिल्प प्रशिक्षण प्रोग्राम के तहत टिकुली

Recent Posts

  • कुल्हड़ में चाय, धुएं में बातें और टपरी पर जिंदगी, “रविवारीय” में पढ़िए एक ठहराव, एक मुलाकात, एक कहानी July 20, 2025
  • जियो फाइनेंशियल और एलियांज मिलकर पुनर्बीमा क्षेत्र में उतरेंगे July 19, 2025
  • रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड के नतीजे घोषित, शानदार रही पहली तिमाही  July 19, 2025
  • ज्ञान भवन बनेगा ऐतिहासिक फैसलों का गवाह, कायस्थ महापंचायत में जुटेंगे देश-विदेश के प्रतिनिधि July 19, 2025
  • बिहार के छात्रों के लिए सौगात: पीयुसीए करेगा 50 करोड़ की छात्रवृत्ति की घोषणा July 18, 2025

Categories

  • अंतर्राष्ट्रीय
  • उत्तर प्रदेश
  • कानपुर
  • कैमूर
  • ख़बर
  • खेल
  • गया
  • गोपालगंज
  • चुरू
  • जबलपुर
  • जमुई
  • जयपुर
  • ज्योतिष और धर्म संसार
  • झारखण्ड
  • दरभंगा
  • नालंदा
  • पंजाब
  • पटना
  • पूर्वी चंपारण
  • बदायूँ
  • बिहार
  • बेगुसराय
  • बेगुसराय
  • भागलपुर
  • मधुबनी
  • मधेपुरा
  • मध्य प्रदेश
  • महाराष्ट्र
  • मुंगेर
  • मुजफ्फ़रपुर
  • मुरादाबाद
  • रांची
  • राजस्थान
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • रोहतास
  • विविध
  • वैशाली
  • व्यवसाय
  • शिक्षा
  • सम्पादकीय
  • सारण
  • सासाराम
  • सिनेमा / टीवी
  • सीतामढ़ी
  • स्वास्थ और लाइफ स्टाइल
  • हिमाचल प्रदेश

Grievance Redressal

Privacy Policy

Copyright © 2025 भारत पोस्ट लाइव. All rights reserved.
Theme: ColorMag by ThemeGrill. Powered by WordPress.