सम्पादकीय

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लोकतंत्र की रीढ़ या बाज़ार का शोर? प्रेस की स्वतंत्रता की परीक्षा

राष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस (16 नवंबर) प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण शर्त है। जब पत्रकार निर्भय होते हैं,

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जाति समीकरणों से ऊपर उठा बिहार, “रविवारीय” में आज पढ़िए- व्यावहारिक वोटिंग ने लिखी नए दौर की कहानी

लोकतंत्र और बिहार इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में बिहार के लोगों ने अपनी रायशुमारी ज़ोरदार ढंग से जाहिर

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मनोरंजन ऐप्स की अंधी दौड़ और बढ़ती अश्लीलता

डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स तेज़ मुनाफ़े की दौड़ में कला, संवेदनशीलता और समाजिक मूल्यों को पीछे छोड़ते हुए अश्लीलता को नया ‘मनोरंजन’

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धर्मनिरपेक्ष भारत में आस्था पर पहरा: क्या धर्मांतरण विरोधी कानून आवश्यक हैं?

भारत में धर्मांतरण विरोधी कानून: धार्मिक स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता की संवैधानिक चुनौती भारत में धर्मांतरण विरोधी कानूनों को सामाजिक सद्भाव

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भूमिगत कोयला खनन: भारत में पर्यावरणीय संतुलन और सामाजिक प्रगति की ओर निर्णायक कदम

जब पूरी दुनिया ऊर्जा संकट और संसाधनों की कमी से जूझ रही है, तब भारत जैसे विकासशील देश के लिए

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